रियाद। सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद ने मंगलवार को एक शाही फरमान जारी करते हुए महिलाओं को देश में वाहन चलाने की इजाजत दे दी है। इस फैसले ने लंबे समय से चली आ रही उस दीर्घकालिक नीति को उलट दिया है जो अत्यंत रूढ़िवादी देश में महिलाओं के दमन का वैश्विक प्रतीक बन गई थी।
यह निर्णय हालांकि, तत्काल लागू नहीं किया जाएगा क्योंकि देश में महिलाओं के लिए ड्राइविंग सीखने या ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए कोई बुनियादी ढांचा नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार पुलिस को महिलाओं के साथ उस तरीके से बातचीत करने के लिए प्रशिक्षित करने की जरूरत होगी जिस तरीके से शायद ही इस समाज में अनजान पुरुषों और महिलाओं के बीच बातचीत होती है।
कई सालों से सऊदी मौलवी महिलाओं के ड्राइविंग करने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कई कारण गिनाते रहे हैं, जिनमें से एक में दावा किया जाता रहा है कि ड्राइविंग से महिलाओं के अंडाशय को नुकसान पहुंचता है।
इस प्रतिबंध को रद्द करने के लिए विभिन्न अधिकार संगठनों द्वारा लंबे समय तक अभियान चलाया गया, जिस दौरान ड्राइविंग करने को लेकर कई महिलाओं को गिरफ्तार किया गया और जेल भेज दिया गया।
इस हालिया आदेश से पता चलता है कि सऊदी अपनी छवि सुधारने का किस प्रकार प्रयास कर रहा है जो महिलाओं को सार्वजनिक रूप से गाड़ी चलाने की इजाजत नहीं देने से खराब हुई थी।
ऐसा माना जा रहा है कि विदेशों में सऊदी अरब की छवि पर होने वाले प्रभावों के अलावा महिलाओं को ड्राइविंग करने देने के पीछे का मकसद सऊदी अर्थव्यवस्था में सुधार करना है, जिसमें महिला चालक मददगार हो सकती हैं।
तेल की कम कीमतों ने सरकारी नौकरियों को सीमित कर दिया है जिस पर कई सऊदी लंबे समय से निर्भर रहे हैं और अब देश महिलाओं सहित ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को लाभकारी रोजगार देने की कोशिश कर रहा है।