नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक ने अपने खाताधारकों से खाते में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर अधिक शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है। साथ ही अब चैक बुक और लाकर के लिए अधिक शुल्क देना होगा। इसमें बैंक के साथ विलय हुए छह बैंकों के ग्राहक भी शामिल हैं।
एसबीआई के विभिन्न सेवाओं के लिए शुल्क बढ़ाने के निर्णय के बाद अन्य बैंक भी ऐसा करने को प्रोत्साहित हो सकते हैं। इससे देश भर में ग्राहक प्रभावित होंगे।
ये शुल्क पांच पूर्व एसोसिएट बैंक तथा भारतीय महिला बैंक के ग्राहकों पर भी लागू होंगे। इन बैंकों का स्टैट बैंक में विलय एक अप्रैल से प्रभाव में आ गया। विलय के बाद एसबीआई ग्राहकों की संख्या बढ़कर 37 करोड़ हो गई है।
अब मासिक आधार पर छह महानगरों में एसबीआई की शाखा में औसतन 5,000 रुपए रखने होंगे। वहीं शहरी और अर्ध-शहरी शाखाओं के लिए क्रमश न्यूनतम राशि सीमा 3,000 रुपए और 2,000 रुपए रखी गई है। ग्रामीण शाखाओं के मामले में न्यूनतम राशि 1,000 रुपए तय की गई है।
एसबीआई की वेबसाइट के अनुसार एसबीआई के बचत खाताधारकों को मासिक आधार पर न्यूनतम राशि को अपने खाते में रखना होगा। ऐसा नहीं होने पर उन्हें 20 रुपए ग्रामीण शाखा से 100 रुपए महानगर देने होंगे।
बैंक में 31 मार्च तक बिना चैक बुक वाले बचत खाते में 500 रुपए और चैक बुक की सुविधा के साथ 1,000 रुपए रखने की आवश्यकता थी। हालांकि सुरक्षा, मूल बचत खाता और प्रधानमंत्री जनधन योजना खातों में यह व्यवस्था लागू नहीं होगी।
इसके अलावा बैंक ने लॉकर किराया भी बढ़ा दिया है। साथ ही एक साल में लॉकर के उपयोग की संख्या भी कम कर दी है। 12 बार उपयोग करने के बाद ग्राहक 100 रुपए के साथ सेवा कर देना होगा।
चैक बुक के मामले में चालू खाताधारकों को एक वित्त वर्ष में 50 चैक मुफ्त मिलेंगे। उसके बाद उन्हें चैक के प्रति पन्ने के लिए तीन रुपए देने होंगे। इस प्रकार, 25 पन्नों वाले चैक बुक के लिए उन्हें 75 रुपए के साथ सेवा कर देना होगा।
एसबीआई के बचत खाते में अगर 25,000 रुपए बना रहता है तो संबंधित ग्राहक असीमित बार एटीएम का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि पांच बार से अधिक एटीएम के उपयोग करने पर ग्राहक को शुल्क देना होगा।