नई दिल्ली/लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में उत्तर प्रदेश के 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों को लखनऊ में दिया गया सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया है।
जस्टिस अनिल आर दवे, एनवी रामन और आर बानुमती की बेंच ने सोमवार को यह निर्णय सुनाया। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को उत्तर प्रदेश में सरकारी आवास देने का कोई प्रावधान नहीं है। उन्हें दो महीने में बंगला खाली करना होगा।
इनमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी, कल्याण सिंह, रामनरेश यादव, मुलायम सिंह यादव, राजनाथ सिंह और मायावती के नाम शामिल हैं।
देश की सर्वोच्च अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार की नोटिफिकेशन को खारिज करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीवनभर के लिए सरकारी बंगलों में नहीं रह सकते हैं।
सरकारी आवास पर इस तरह के किसी भी कब्जे को 2 महीने के भीतर खाली कराना होगा। साथ ही कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी आवास के हकदार नहीं हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ लखनऊ के जिस याचिका पर सुनवाई हुई है वह 12 साल पहले फाइल की गई थी। उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ लखनऊ के गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) लोक प्रहरी ने याचिका दायर की थी।
सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में 20 बार लिस्टिंगि होने के बाद न्यायाधीश अनिल आर दवे, एनवी रामन और आर बानुमती की पीठ ने 27 नवंबर 2014 को सुनवाई की। ऑर्डर रिजर्व रखने के तकरीबन 20 महीने बाद फैसला आया है।
इस संबंध में केंद्र सरकार से भी कहा गया है कि सरकारी बंगला अलॉट करने के संबंध में नियम बनाने के लिए वह विचार करे। मामले के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा और के राधाकृष्णन मौजूद रहे।
समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव इसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की ओर रिव्यू पिटीशन फाइल करने की बात कह रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्री अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। वजह, इन्हें सुरक्षा के नाम पर मिले बंगले जेड श्रेणी की सुरक्षा में आते हैं।
इसके अलावा निजी भवन में जाने से सुरक्षा को लेकर सिक्योरिटी को खतरा बताकर भी याचिका दायर करने या अन्य राज्यों में भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को आधार बनाकर ऐसा कर सकते हैं।