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SC asks RBI : 87 owe Rs 85000 crore, why not make their names public
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रिजर्व बैंक को फटकार, बैंक नहीं देशहित में काम करने को कहा

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रिजर्व बैंक को फटकार, बैंक नहीं देशहित में काम करने को कहा
SC asks RBI : 87 owe Rs 85000 crore, why not make their names public
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SC asks RBI : 87 owe Rs 85000 crore, why not make their names public

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) के मामले पर सुनवाई करते हुए सोमवार को रिजर्व बैंक की जमकर खिंचाई की। सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक से कहा कि आप देशहित में काम कीजिए न कि बैंकों के हित में।

500 करोड़ रुपए से ज्यादा के लोन डिफॉल्टर की लिस्ट में सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि महज 57 कर्जदारों ने करीब 85 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का लोन डिफॉल्ट किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक से 500 करोड़ रुपए से ज्यादा के लोन डिफॉल्टरों की लिस्ट मांगी थी। कोर्ट ने कहा कि अगर यह लिस्ट 500 करोड़ से नीचे की रकम के डिफॉल्टरों की हो तो ये आंकड़ा एक लाख करोड़ से ऊपर पहुंच जाएगा।

कोर्ट ने रिजर्व बैंक से पूछा कि लोन डिफॉल्टरों की इस सूची को सार्वजनिक क्यों नहीं किया जाए? इसका रिजर्व बैंक ने पुरजोर विरोध किया और कहा कि वह बैंकों के हित में काम कर रहा है और ये सभी ‘विलफुल डिफॉल्टर’ नहीं है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई शुक्रवार को करेगी।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश में गरीब किसानों की संपत्ति कुछ हजार रुपए न चुका पाने के कारण कुर्क हो जाती है और अमीर लोग कर्ज लेकर रफूचक्कर हो जाते हैं।

कोर्ट ने रिजर्व बैंक से कहा कि आप रेगुलेटर हैं और आपको वाचडॉग की तरह काम करना चाहिए। लेकिन अमीर लोग लोन लेकर काफी संपत्ति अर्जित कर लेते हैं और अपने आपको दिवालिया घोषित कर देते हैं।

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने सुप्रीम कोर्ट में 2003 में याचिका दायर की थी। यह याचिका हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कारपोरेशन (हुडको) द्वारा कुछ कंपनियों को दिए गए लोन के खिलाफ दायर की गई थी।