नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राहत देते हुए निचली अदालत द्वारा जारी समन पर रोक लगा दी।
इस फैसले से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पैसे से अधिवक्ता कपिल सिब्बल, एएम सिंघवी, केटीएस तुलसी और अश्विनी कुमार ने न्यायलय पहुंचकर मनमोहन सिंह का पक्ष रखा।
इस संबंध में वकील अश्विन कुमार ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की याचिका स्वीकार कर ली है।
न्यायालय ने कहा कि मामले में जबतक उच्चतम न्यायालय फैसला नहीं सुनाती तबतक मनमोहन सिंह को इस मामले में आरोपी के रुप में पेश नहीं होना पड़ेगा। मुख्य कानूनी मुद्दों पर उच्चतम न्यायालय फैसला सुनाएगी। सिंह के साथ अन्य लोगों की याचिका भी उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार कर ली है।
इसके साथ ही, उच्चतम न्यायालय ने कोयला घोटाला मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर भी रोक लगाई और सीबीआई को नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने अलग से दाखिल उस आग्रह पर भी केंद्र को नोटिस भी जारी किया जिसमें भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
मनमोहन सिंह की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रधानमंत्री के पास पूर्ण शक्तियां होती हैं और उनके प्रशासनिक फैसलों को गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता है। मनमोहन सिंह ने मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी के अभाव का मुद्दा भी उठाया।
गौरतलब है कि कि विशेष अदालत ने 2005 में ओडिशा में तालाबीरा-दो कोयला खदान का आबंटन आदित्य बिडला समूह की कंपनी हिण्डालको को करने से संबंधित मामले में उन्हें तलब किया था जिसके खिलाफ मनमोहन सिंह ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। साल 2005 में कोयला मंत्रालय का प्रभार तात्कालीन प्रधानमंत्री के पास ही था।