सीकर। राजस्थान की महिला मुख्यमंत्री के नेतृत्व की सरकार का पुलिस महकमा एक छात्रा के आत्मदहन के मर्मातंक मामले के आरोपियों को बचाने की मुहिम में जुटी है।
घटनाक्रम के अनुसार सीकर स्थित एक बहुआयामी शिक्षण संस्थान प्रिंस ऐकेडमी की कक्षा बारहवीं की छात्रा दिया उपाध्याय निवासी जिला बांसवाड़ा ने दीपावली के अवकाश के दौरान परिवार सहित उत्सव मना कर अपने कमरे में आत्मदाह कर लिया।
मृतका की ओर से आत्महत्या के कारणों का लिखित उल्लेख करते हुए घटनास्थल पर एक पत्र छोड़ा जिसमें सीकर की प्रिंस ऐकेडमी के निदेशक पीयूष सुण्डा व अध्यापक रमाकांत पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाते हुए स्पष्ट लिखा कि इन्होंने उसके जीवन को बरबाद कर दिया इसलिए वह आत्मदाह कर अपने जीवन को समाप्त कर रही है।
अपने माता पिता से माफी के साथ लिखे आत्मदाह पूर्व पत्र में बालिका ने स्पष्ट तौर पर लिखा कि आरोपियों की कारगुजारियों से अवसाद में जीने से मुक्त होने में ऐकेडमी में भी आत्मदाह कर लेती लेकिन परिवार के साथ जीवन के अंतिम दीपावली उत्सव को मनाकर उन्हें खुश करने के लिए अवकाश में घर आ गई।
अवसादग्रस्त छात्रा दिया उपाध्याय ने मृत्यु पूर्व लिखे अपने पत्र में साफ तौर पर बताया कि आरोपियों ने उसे इस कदर प्रताडऩा का शिकार बनाया है कि पिछले दो माह से वह कुछ नहीं पढ़ पाई ।इससे बारहवीं की परीक्षा में उत्तीर्ण होने का भी कोई रास्ता नहीं बचा है। अपने आत्महत्या पूर्व लिखे पत्र की अंतिम पंक्तियों में उसने न्याय की गुहार करते हुए रमाकान्त अध्यापक व पीयूस सुण्डा को सजा दिलाने की मांग की है।
बांसवाड़ा पुलिस में दर्ज प्रकरण के बाद सीकर जांच के लिए आए बांसवाड़ा पुलिस के दल ने अपनी जांच की दिशा ही अजीब कर दी। जांच अधिकारियों की ओर से जांच का केन्द्र बिन्दु मृतका बालिका की ओर से मृत्यु पूर्व लिखित में छोड़े गए बयानों को प्राथमिकता देने की बतया मृतका के भूतकाल को ही आधार बना कर डी.एन.ए. टेस्ट आरंभ कर तथाकथित आरोपों की जांच आरंभ कर दी। जांच दल छात्रा के जीवन के साथ हुए अन्याय के दस्तावेजी सबूत के बावजूद उसके बचपन से लेकर मरने तक के इतिहास की खोजबीन के साथ अपनी जांच को गति दे रही है।
राजस्थान पुलिस की जांच की गतिविधियों पर सर्वसमाज की ओर से व्यापक विरोध जताया जा रहा है। शहर में छात्र संगठन अखिल भारतीय विधार्थी परिषद सहित विप्र समाज की युवा इकाई की ओर से केंडल मार्च व विरोध प्रदर्शन कर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन दिए गए।
छात्रा की ओर से की गई न्याय की गुहार के पम्पलेट भी शहर में वितरित कर बालिका के आत्मदाह के पूर्व लिखे मर्मस्पर्शी पत्र की प्रतियां भी वितरित की गई है। इससे सामाजिक स्तर पर सभी समाज की ओर से एकजुटता के साथ पुलिस जांच को निष्पक्ष बनाने तथा आरोपियों के विरूद्ध कार्रवाई करने की पुरजोर मांग की जा रही है।
शहर के सामाजिक संगठनों की ओर से जिला पुलिस अधीक्षक को दिए गए ज्ञापनों में न्याय संगत कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी गई है। ज्ञापन में स्पष्ट रूप से छात्रा दिया को आत्मदाह करने के लिए विवश करने वाले दरिंदों पर सक्रीयता से कार्य करने की पुलिस से मांग की गई है।