लंदन। विषाणु जनित बीमारियों व कैंसर के इलाज में वैज्ञानिकों को एक प्रोटीन के रूप में एक बड़ी सफलता हाथ लगी है।
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चूहों तथा मानव कोशिकाओं पर किए गए परीक्षण के मुताबिक, यह प्रोटीन साइटोटॉक्सिक (हानिकारक कोशिकाओं को मारने वाला) टी कोशिकाओं की संख्या बढ़ाने में मदद करता है, जो कैंसर कोशिकाओं तथा विषाणुओं द्वारा संक्रमित कोशिकाओं को खत्म करता है।
इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर फिलिप एश्टन-रिकार्ट ने कहा कि कैंसर कोशिकाओं में टी कोशिकाओं की गतिविधियों को सीमित करने की क्षमता होती है, जिसके कारण प्रतिरक्षा प्रणाली उनपर कोई खास प्रभाव नहीं डाल पाती।
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साइटोटॉक्सिक टी कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन जब उनका सामना कैंसर कोशिकाओं से होता है, तो उनसे मुकाबले के लिए वे अपनी संख्या को भारी मात्रा में बढ़ा लेती हैं।
शोधकर्ताओं ने चूहों की एक ऐसी प्रजाति खोजी है, जो विषाणुओं से सामना होने पर सामान्य चूहों की तुलना में 10 गुणा अधिक संख्या में साइटोटॉक्सिक टी कोशिकाओं का निर्माण कर सकता है। ये चूहे संक्रमण को ज्यादा प्रभावी ढंग से दबाते हैं और कैंसर के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते हैं।
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इसके अलावा, ये एक अन्य प्रकार की टी कोशिकाओं (मेमरी कोशिका) का निर्माण करते हैं, जो पूर्व में हुए संक्रमण की पहचान कर अधिक प्रभावी ढंग से उनका मुकाबला करते हैं।
दरअसल, अत्यधिक प्रतिरक्षा शक्ति वाले ये चूहे भारी स्तर पर एक अज्ञात प्रोटीन का निर्माण करते हैं, जिसे शोधकर्ताओं ने लिंफोसाइट एक्सपेंशन मॉलीक्यूल (एलईएम) की संज्ञा दी है।
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यह खोज बेहद अप्रत्याशित है, क्योंकि इस प्रोटीन के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी और यह मौजूदा ज्ञात प्रोटीन से बिल्कुल अलग है।
एश्टन-रिकार्ट ने कहा कि एक सक्रिय एलईएम जीन को कैंसर रोगी की टी कोशिकाओं में प्रत्यारोपित कर रोगी की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। यह अध्ययन पत्रिका ‘साइंस’ में प्रकाशित हुआ है।