नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन में शामिल होने के लिए गुरुवार को कजाकिस्तान के अस्ताना के लिए रवाना होंगे। उम्मीद है कि अस्ताना में भारत को इस यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य गुट का पूर्ण सदस्य बना दिया जाएगा।
भारत साल 2005 से ही इस सम्मेलन में पर्यवेक्षक देश के रूप में शामिल होता रहा है। साल 2015 में रूस के उफा में हुए सम्मेलन में भारत को सूचित किया गया था कि उसे समूह की पूर्ण सदस्यता दी जाएगी, जिस पर साल 2016 में ताशकंद में हुए सम्मेलन में काम शुरू किया गया।
पाकिस्तान भी अस्तान सम्मेलन में पूर्ण सदस्यता प्राप्त होने की उम्मीद कर रहा है। दोनों दक्षिण एशियाई देश चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रुस, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के बाद एससीओ के क्रमश: सांतवें और आठवें देश होंगे।
विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (यूरेशिया) जीवी श्रीनिवास ने यहां बताया कि भारत ने समूह में शामिल होने के लिए कुल 38 दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं।
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यह पूछे जाने पर कि भारत के इस समूह में शामिल होने से क्या हासिल होगा, श्रीनिवास ने कहा कि इसमें दो तरह के सहयोग हासिल होंगे। पहला व्यापार, अर्थव्यवस्था, कनेक्टिविटी, ऊर्जा, परिवहन, बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में तो दूसरा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि एससीओ भी एक संस्थागत मंच होगा जिसके माध्यम से भारत, अफगानिस्तान के पड़ोसियों के साथ संलग्न हो सकता है।
बागले ने यह भी कहा कि मोदी शिखर सम्मेलन के दौरान दौरा करने वाले नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे, लेकिन इन्हें प्रधानमंत्री के अस्ताना पहुंचने के बाद ही अंतिम रूप दिया जाएगा।
विशेष रूप से पूछे जाने पर कि क्या मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक होगी, प्रवक्ता ने कहा कि दोनों तरफ से ऐसा कोई अनुरोध नहीं है।