नई दिल्ली। नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानी तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही, सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं। ब्रह्मचारिणी मां स्त्रियों के रूप में गुरू मानी जाती है। माँ ब्रह्मचारिणी ज्ञान का भंडार है।
मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों को अनंत फल देने वाला है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली। मां दुर्गा का यह रूप अत्यंत भव्य और सुंदर है। इनके दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण करती हैं।
यह प्यार और वफादारी को प्रदर्शित करती हैं। माँ ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से मनुष्य को विजय प्राप्त होती हैं। मां ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती हैं कि जीवन में बिना परिश्रम के सफलता प्राप्त करना असंभव है।
मां ब्रह्माचारिणी को गुड़हल का फूल और कमल बेहद प्रिय है। पूजा में इन्ही फूलों की मां ब्रह्माचारिणी को पहनाई जाती है। इनको प्रसन्न करने के लिए शक्कर का भोग लगाया जाता है। इस दिन शक्कर का भोग लगाने से घर के सदस्यों की आयु बढ़तरी है।
भोग के पश्चात शक्कर दान करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन रॉयल ब्लू शुभ रंग होता है। इसलिए इनकी पूजा रॉयल ब्लू रंग की साड़ी पहना कर की जाती है और इस दिन रॉयल ब्लू रंग का वस्त्र पहनना शुभ मानते है।