नई दिल्ली। पहली बार स्पेक्ट्रम नीलामी में रखी गई प्रीमियम 700 मेगाहर्ट्ज बैंड की कीमत ज्यादा होने के कारण सोमवार को दूसरे दिन भी किसी ने इसके लिए कोई बोली नहीं लगाई।
हालांकि दूरसंचार के क्षेत्र में यह सबसे अच्छी किस्म का स्पेक्ट्रम है। इसका इस्तेमाल कर कंपनियां अपने पूंजीगत खर्च में काफी कमी ला सकती हैं।
वैसे दूसरे दिन सोमवार को 60,000 करोड़ से ज्यादा की बोली लगाई गई। नीलामी के पहले दिन शनिवार को 53 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बोली लगी थी।
नीलामी में भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया, रिलायंस जियो इन्फोकॉम, रिलायंस कम्युनिकेशन्स, आइडिया सेल्युलर, एयरसेल और टाटा टेली हिस्सा ले रही हैं।
दूसरे दिन की नीलामी में 900 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए भी किसी ने कोई बोली नहीं लगाई। दूरसंचार विभाग के सूत्रों के मुताबिक 800 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए एक-दो कंपनियों ने जरूर बोली लगाई।
सबसे ज्यादा मारामारी 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए मची है। सरकार ने पांच सर्किलों में इसके दो स्लॉट रखे हैं। खासतौर से मुंबई और महाराष्ट्र सर्किल में इस बैंड को हासिल करने के लिए आइडिया सेल्युलर और भारती एयरटेल में ठनी हुई है क्योंकि दोनों को वहां अपनी 4जी सेवा को और मजबूत करना है।
सूत्रों के मुताबिक वहीं टाटा टेली को भी मुंबई और महाराष्ट्र सर्किल में 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड का स्पेक्ट्रम चाहिए क्योंकि उसका लाईसेंस सितम्बर 2017 में खत्म हो रहा है और अगर उसने इसे हासिल नहीं किया तो उसकी सेवाएं ठप हो जाएंगी।
इसी तरह गुजरात में 2300 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए भारती एयरटेल और रिलांयस जियो में ठनी हुई है। देश में दूसरे दौर के स्पेक्ट्रम की सबसे बड़ी नीलामी शनिवार से शुरू हुई है। सरकार ने नीलामी के लिए कोई अंतिम समय सीमा नहीं रखी है।
इस नीलामी में आवंटित होने वाले स्पेक्ट्रम को अगली पीढ़ी की दूरसंचार सेवाओं के लिए जरूरी माना जा रहा है। रिजर्व प्राइस के आधार पर सरकार को 5.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व मिलने की उम्मीद है।
इससे पहले वर्ष 2010 में 3जी स्पेक्ट्रम में 2100 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए 34 दिन तक सबसे लंबा बोलियों का दौर चला था और सरकार को इस नीलामी से 1.10 लाख करोड़ रुपए मिल थे।