हिसार/जींद। हरियाणा सिंचाई विभाग में जेई के पद पर रहे रामपाल ने संत बनकर लोगों को आंखों पर झूठ का ऎसा पर्दा डाला कि लोग उसे भगवान का अवतार मानने लगे। आश्रम में लगी हाइड्रोलिक लिफ्ट के जरिए रामपाल एक जगह से दूसरी जगह निकल आता था। इसी अंधविश्वास के कारण लोग उसे अवतार समझने लगे तथा भीड़ बढ़ती गई।
वर्ष 1995 में जेई पद से रामपाल ने इस्तीफा दे दिया और अपने गांव धनाना में ही सत्संग चलाने लगा। करीब 10-12 परिवार ही उसके साथ आए बाकी गांव धीरे-धीरे रामपाल के खिलाफ होता चला गया। रामपाल को गांव से भागना पड़ा और उसने 1997 में जींद की इंप्लाइज कॉलोनी में डेरा जमाया यहां भी उसने सत्संग शुरू कर दिया और 500 गज में एक आश्रम बनाया और इसमें एक गुफा बना डाली जिसके जरिए वह लोगों में अंधविश्वास फैलाने में कामयाब हो गया और उसके अनुयायियों की भीड़ बढ़ती गई।
इसके बाद 2003 में रामपाल यमुनानगर पहुंचा जहां उसकी दाल नहीं गली और वहां से भागकर उसने रोहतक के करौंथा में आश्रम बनाया और उसका यह धंधा खूब फला फूला। यह सतलोक आश्रम नहीं था बल्कि रामपाल का मायालोक था। इस मायालोक में विज्ञान के अविष्कारों से उसने फरेब का एक ऎसा आभामंडल तैयार किया था जिसने रामपाल को बाबागीरी का उस्ताद बना दिया।
इस मायालोक में एक सिंहासन था जहां से वह अपने भक्तों को दर्शन दिया करता था। इसके चारों तरफ बुलेट प्रूफ शीशा लगा होता था। किसी को पता नहीं चलता था कि रामपाल इसके भीतर कैसे पहुंचता है। वो नीचे से कहीं से निकलता था और प्रवचन खत्म होने पर बाहर निकले निकले बिना दूसरी तरफ हाजिर हो जाता था।
इसका राज यहां बना तहखाना था। इसी तहखाने से रामपाल दौड़कर दूसरी तरफ भागता था और इसे एक चमत्कार में बदलने के लिए उसने अपनी सारी इंजीनियरिग भिड़ा दी थी। ये सिंहासन दरअसल एक हाईड्रोलिक मशीन पर टंगा हुआ होता था। इस सिंहासन में बटन लगे होते थे। बटन दबाते ही बाबा तहखाने से सीधे प्रवचन के डिब्बे में पहुंच जाता था और प्रवचन खत्म तो बटन दबाया सिंहासन नीचे।
नीचे एक सुरंग बनी हुई थी। इस सुरंग से रामपाल दूसरे हिस्से में भागता। यहां से बाबा के भक्तों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगी। जब रोहतक में विवाद हुआ तो रामपाल को यहां से भी भागना पड़ा और बरवाला में सतलोक आश्रम की स्थापना कर डाली। यहां भी काफी दिनों तक बाबा का ध्ंधा चला और अपनी इसी इंजीनियरिग के दम पर वह लोगों को बेवकूफ बनाता गया। पंजाब तथा हरियाणा उच्च न्यायालय ने जब बाबा के खिलाफ गैरजमानती वारंट निकाले तो पुलिस ने बड़ी कार्रवाई के बाद रामपाल को अपनी गिरफ्त में ले लिया और बाबा की इंजीनियरिग कोई काम नहीं आ सकी।
फाइव स्टार होटल या संत का आश्रम
हिसार के आश्रम से धरे गए कथित संत रामपाल के आश्रम में तो छह महीने से ज्यादा का राशन मिला है। इसके लिए बाकायदा गोदाम और स्टाफ रखा गया था। टीवी चैनलों की रिर्पोटों और सूत्रों की मानें तो आश्रम के बाथरूम इतने लक्जरी हैं कि फाइव स्टार होटल के बाथरूम भी इनके आगे फीके पड़ जाएं। इसमें लगे शॉवर विदेशों से मंगाए गए हैं।
आश्रम में टॉवेल और साबुन भी इंर्पोटेड हैं। आश्रम के स्वीमिंग पूल के तो कहने ही क्या। हालांकि सर्दियों के चलते फिलहाल इसमें पानी नहीं है। कई लक्जरी कारें और बाइक भी मिली हैं। इसके अलावा आश्रम का हर हिस्सा सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में है। इनका संचालन दो कंट्रोल रूम से किया जाता था।