नई दिल्ली। विजय माल्या के ऋण पुनर्भुतान चूक जैसे मामलों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सरकार ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निर्देश दिया कि यदि कंपनियां ऋणों का पुनर्भुगतान करने में विफल रहती हैं तो प्रवर्तक निदेशकों की निजी गारंटी को भुनाकर ऋण की वसूली की जाए।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों को निर्देश जारी करते हुए वित्त मंत्रालय ने अफसोस जताया कि बैंक कंपनियों द्वारा ऋण पुनर्भुगतान चूक के मामले में बहुत कम देाने में आया है कि बैंक गारंटरों से ऋण की वसूली करते हों।
आरबीआई के साथ परामर्श के बाद जारी निर्देश में कहा गया है कि ऐसा देखने में आया है कि ऐसे बहुत कम मामले हैं जहां संपत्तियों की कुर्की के लिए गारंटरों के खिलाफ वसूली की कार्रवाई की गई हो। मंत्रालय ने आगे कहा कि जब ऋण वसूली के कोई संकेत न दिखते हों तो गारंटरों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करना महत्वपूर्ण होगा।
बैंकों को ऋण वसूली न्यायाधिकरण डीआरटी से संपर्क करने की हिदायत देते हुए मंत्रालय ने कहा कि गारंटरों के खिलाफ कार्रवाई सरफेसी कानून, भारतीय संविदा कानून और संबद्ध कानूनों के तहत की जानी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि संकटग्रस्त उद्योगपति विजय माल्या के इस महीने की शुरुआत में देश छोड़कर लंदन जाने को लेकर संसद और संसद के बाहर काफी हो-हल्ला मचा। माल्या से जुड़ी विभिन्न कंपनियों पर अलग-अलग बैंकों का 9,000 करोड़ रुपए से अधिक का ऋण बकाया है।