जहानाबाद। बिहार के जहानाबाद जिले के सेनारी नरसंहार के दस दोषियों को न्यायालय ने मंगलवार को फांसी और तीन को आजीवान कारावास की सजा सुनाई।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश- 3 रंजीत कुमार सिंह ने कड़ी सुरक्षा के बीच दोषियों को सजा सुनाई जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया।
उल्लेखनीय है कि 27 अक्टूबर को न्यायालय ने सजा के बिन्दु पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे आज खचाखच भरे कोर्ट में सुनाया गया।
न्यायालय ने कुल 15 दोषियों में से 10 को फांसी तथा तीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए अन्य दो दोषियों पर अपना फैसला अब भी सुरक्षित रख लिया है।
इन दोनों दोषियों की सजा पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा। न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा पाने वाले तीनों दोषियों को एक—एक लाख रूपए जुर्माना के रूप में देने का भी आदेश दिया है।
इससे पूर्व न्यायालय ने गत 27 अक्टूबर को सेनारी नरसंहार के कुल अभियुक्तों में से 15 को दोषी ठहराया था जबकि 23 अन्य अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था।
अपर जिला व सत्र न्यायाधीश ने कड़ी सुरक्षा के बीच खचाखच भरे कोर्ट में 27 अक्टूबर को फैसला सुनाते हुए कहा था कि कई अभियुक्तों के खिलाफ अभियोजन पक्ष पर्याप्त साक्ष्य नहीं रख पाया है जिसके चलते संदेह का लाभ देते हुए 23 अभियुक्तों को बरी कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि नक्सलियों के एक हथियार बंद दस्ते ने लगभग 17 वर्ष पूर्व 18 मार्च 1999 की देर रात सेनारी गांव में हमला कर एक जाति विशेष के 34 पुरूषों और बालकों की गला रेत कर निर्मम रूप से हत्या कर दी गई थी।
नक्सलियों ने गांव के सभी पुरूषों को घरों से खींचकर सेनारी के उत्तरी छोर पर स्थित बाधार में ले जाकर काट डाला था। गांव की चिंता देवी के बयान पर मामला दर्ज किया गया था जिसमें 70 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था।
चिंता देवी के पति और उनके पुत्र दोनों को नक्सलियों ने काट डाला था। इस मामले में सत्रह साल चली लंबी सुनवाई के दौरान चार आरोपियों की मौत हो गई जबकि 34 को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।
न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई पहले ही पूरी कर ली थी जिस पर 27 अक्टूबर को निर्णय सुनाया गया था और सजा के बिन्दु पर फैसला सुरक्षित रखते हुए न्यायालय ने 15 नवम्बर की तिथि फैसला सुनाने के लिए मुकर्रर की थी।
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए न्यायालय और उसके आसपास सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये थे। ज्ञात हो कि नक्सलियों ने 1997 में हुए ल्क्षमणपुर बाथे में 58 लोगों की सवर्णो द्वारा किए गए नरसंहार का बदला लेने के लिए सेनारी नरसंहार को अंजाम दिया था।