लखनऊ। उत्तर प्रदेश 27 साल से वनवास झेल रही कांग्रेस को गुरुवार को बड़ा झटका लगा है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की कद्दावर नेता प्रो रीता बहुगुणा जोशी के भाजपा में शामिल होने से सूबे में भाजपा और मजबूत होगी।
हालांकि कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप माथुर का मानना है कि रीता जोशी के जाने से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन कांग्रेस के ही कई नेता नाम न छापने की शर्त पर दबी जुबान से कह रहे हैं कि यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है।
दरअसल रीता जोशी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नन्दन बहुगुणा की बेटी हैं। इनके बड़े भाई विजय बहुगुणा भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
कभी भारतीय राजनीति के नटवरलाल कहे जाने वाले हेमवती नन्दन बहुगुणा का उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सियासत में बड़ा दखल था। इलाहाबाद विश्विद्यालय छात्र संघ में कई दशकों तक उन्हीं के आशीर्वाद से पदाधिकारी चुनाव जीता करते थे।
आज भी दोनों राज्यों में बहुगुणा परिवार के तमाम शुभचिन्तक मौजूद हैं। ऐसे में रीता जोशी के भाजपा में जाने से राजनीतिक समीक्षक सूबे की राजनीति में बड़ा परिवर्तन देख रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि रीता के कांग्रेस छोड़ने का खामियाजा पार्टी सहित उसके ब्राहमण वोट बैंक पर भी पड़ेगा ।
इलाहाबाद विश्विद्यालय में मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास की प्रोफेसर रही डा रीता बहुगुणा जोशी को राजनीति विरासत में मिली हुई है। उनकी मां कमला बहुगुणा भी उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से सांसद रही हैं।
रीता ने अपनी राजनीतिक पारी एक निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में इलाहाबाद के मेयर का चुनाव जीतकर शुरु किया था।
इसके बाद समाजवादी पार्टी से उन्होंने 1991 में लोक सभा का चुनाव सुलतानपुर से लड़ा लेकिन हार गयीं। फिर वह कांग्रेस में शामिल हो गयीं और इलाहाबाद से डा0 मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ लोक सभा का चुनाव लड़ीं और पराजित हुईं।
वर्ष 2009 में कांग्रेस ने उन्हें लखनऊ लोक सभा सीट से चुनाव लड़ाया था, वहां भी वह हार गयीं। लेकिन, खासियत यह रही कि करीब हर चुनाव में उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया। वर्ष 2012 में कांग्रेस के ही टिकट पर लखनऊ के कैंट विधान सभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर वह विधायक बनीं।
रीता जोशी वर्ष 2003 से 2008 तक महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्य्क्ष रह चुकी हैं। वह उत्तर प्रदेश कांग्रेस की भी अध्यक्ष रहीं। बसपा शासन में बतैर प्रदेश अध्यक्ष उन्होंने बहुत संघर्ष किया था। लोक सभा चुनाव से पहले इन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। इसके बाद वह पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रही थीं।
इसी बीच जब उनके भाई विजय बहुगुणा को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से हटाया गया और कुछ समय बाद जब वह भाजपा में शामिल हो गए तो कांग्रेस में बहुगुणा परिवार हाशिये पर आ गया।
उत्तर प्रदेश में शीला दीक्षित को कांग्रेस का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित होने के बाद रीता जोशी अपने को और उपेक्षित मानने लगीं।
रीता और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें सशक्त बाहमण चेहरा के रुप में पार्टी का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करेगी। लेकिन, ऐसा कुछ न हुआ और लगातार आलाकमान से बहुगुणा परिवार की दूरियां बढ़ने लगीं।
रीता के आने से भाजपा होगी मजबूत-केशव
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि प्रो0 रीता बहुगुणा जोशी के भाजपा में आने से पार्टी मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति पहले ही खराब थी, अब रीता जोशी के निकल जाने वह यहां मृतप्राय हो जाएगी।
भाजपा के प्रदेश मुख्यालय पर गुरुवार को केशव मौर्य ने कहा कि प्रो रीता जोशी के भाजपा में आने से प्रदेश को सपा, बसपा और कांग्रेस से मुक्त कराने में पार्टी को बड़ा बल मिला है।
कोई फर्क नहीं पड़ेगा-कांगेेस
कांग्रेस का मानना है कि रीता जोशी के भाजपा में शामिल होने से उत्तर प्रदेश में पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर और पार्टी विधायक दल के नेता प्रदीप माथुर ने कहा कि रीता जोशी के पार्टी छोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। दोनों नेताओं ने दावा किया कि विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ही प्रदेश पूर्ण बहुमत की सरकार बनायेगी।
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