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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस्लामी प्रचारक जाकिर नाईक के एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को बैन करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।
पिछले एक फरवरी को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने बैन करने का सही फैसला लिया है ताकि देश की अखंडता और संप्रभुता को नुकसान न पहुंचे। गृह मंत्रालय के पास बैन करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।
इस याचिका पर सुनवाई के दौरान गृह मंत्रालय ने आईआरएफ की गैरकानूनी गतिविधियों की जानकारी कोर्ट को दी थी। कोर्ट को वो गोपनीय दस्तावेज दिखाए गए थे जिनके आधार पर आईआरएफ पर बैन लगाया गया जिसके बाद जस्टिस संजीव सचदेवा ने कहा कि बैन लगाने संबंधी नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इन सूचनाओं को आधार नहीं बनाया जा सकता है।
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आईआरएफ के वकील ने कहा कि उनके एनजीओ पर झूठी सूचना के आधार पर बैन लगाया गया है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने एक फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से बैन किए जाने संबंधी रिकॉर्ड पेश करने को कहा था।
आईआरएफ ने याचिका में कहा था कि बैन लगाने के फैसले के लिए अधिसूचना में पर्याप्त कारण नहीं बताए गए हैं। साथ ही एनजीओ को बैन करने के पहले कोई शो-कॉज नोटिस भी नहीं दिया गया था।
दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नवम्बर, 2016 में नोटिफिकेशन के जरिये आईआरएफ पर बैन लगाया था जिसके खिलाफ आईआरएफ ने याचिका दायर की है। नोटिफिकेशन के जरिए गैर कानूनी गतिविधयां (निरोधक) अधिनियम के तहत आईआरएफ पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया है।