मुंबई। अभिनेत्री शबाना आजमी का मानना है कि इस्लाम में जन्नत में निकाह तय नहीं होते, बल्कि यह तो एक अनुबंध की तरह होता है।
उत्तर प्रदेश के मदरसों में तलाक के सही तरीके सिखाने के लिए लेख साझा करते हुए शबाना ने मंगलवार को ट्विटर पर लिखा कि इस्लाम में निकाह कोई जन्नत में तय नहीं होता। यह एक अनुबंध है। हमें एक आदर्श ‘निकाहनामा’ की जरूरत है, जो सच्चे मन से तैयार किया गया अनुबंध हो।
लेखक-गीतकार जावेद अख्तर की पत्नी शबाना हमेशा से सामाजिक मुद्दों पर मुखर रही हैं। पिछले सप्ताह उन्होंने तीन तलाक पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा था कि यह निर्णय देश में बहादुर मुस्लिम महिलाओं की जीत है।
वह मिजवान वेलफेयर सोसाइटी नामक एनजीओ भी चलाती हैं। इसकी शुरुआत कैफी आजमी ने की थी। एनजीओ की शुरुआत महिलाओं के लिए रोजगार का अवसर शुरू करने और चिकनकारी कढ़ाई की कला को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से शुरू हुई।