शाहपुर। कल्पना कीजिए कि जिसका इकलौता पुत्र वाहन दुर्घटना में दिवंगत हो गया हो और पत्नी घायल हो गई हो उस पिता को अपने पुत्र की लाश को लेकर स्वयं ही एक किलोमीटर शाहपुर अस्पताल से चीरघर तक ले जाना पड़ा।
ना तो अस्पताल ने वार्डब्वाय मुहैया कराया और ना ही वाहन! मानवता और इंसानियत को तार-तार कर देने वाला मामला शाहपुर ब्लाक मुख्यालय का है।
पुत्र की लाश को स्ट्रेचर पर लिए पिता अकेला करीब एक किलोमीटर तक ले जाता रहा लेकिन किसी भी स्वास्थ्यकर्मी का दिल नहीं पसीजा।
जब इस मामले में शाहपुर में पदस्थ डॉ. संजय खातरकर से चर्चा कि तो उन्होंने अपनी गलती स्वीकारते हुए भविष्य में घटना की पुनर्रावृत्ति नहीं होने की दुहाई दे दी।
अनियंत्रित जीप ने कुचला
अपनी मां ललिताबाई के साथ साप्ताहिक बाजार करने के लिए आया धीरज कोरकू (13) निवासी काली भट्टी वर्ष बाजार करने के बाद बारिश होने से सडक़ किनारे पेड़ के नीचे खड़े हो गए।
बुधवार दोपहर 2 बजे के करीब एक अनियंत्रित गामा ट्रेक्स जीप एमपी 48- 8457 के चालक ने लापरवाहीपूर्वक जीप चलाते हुए जहां धीरज को कुचल दिया थी वहीं ललिताबाई को भी टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में धीरज की मौके पर ही मौत हो गई।
डॉ. ने नहीं दी पुलिस को सूचना
पुत्र के शव और घायल पत्नी को लेकर भंगीलाल कोरकू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा लेकिन यहां पर ड्यूटी पर मौजूद डॉ. संजय खातरकर ने शाम 5 बजे तक पुलिस को ना तो सूचना दी और ना ही पीडि़ता ललिताबाई का उपचार किया।
उसे यह कहते हुए रेफर कर दिया कि एक्सरे कराना पड़ेगा। 108 और जननी एक्सप्रेस दो-दो वाहन होने के बावजूद भी एक भी वाहन मुहैया नहीं कराया गया जिससे ललिताबाई बैतूल नहीं आ सकी।
चीरघर तक पिता ले गया शव
मानवता और इंसानियत को तार-तार करने वाला वाक्या उस समय हुआ जब धीरज का पोस्टमार्टम करने के लिए धीरज के शव को अस्पताल से एक किलोमीटर दूर चीरघर ले जाने का डॉ. संजय खातरकर ने फरमान सुना दिया।
लेकिन ना तो वार्डब्वाय दिया और ना ही वाहन उपलब्ध कराया। अकेला पिता भंगीलाल ही पुत्र धीरज के शव को चीरघर तक लेकर गया जहां उसका पोस्टमार्टम शाम साढ़े 5 बजे किया गया।
दो बहनों का था इकलौता भाई
भंगीलाल ने बताया कि उसके तीन बच्चों में इकलौता पुत्र धीरज था। दोनों बहनों का भाई खत्म हो गया। उसने बताया कि दोनों ही बहनें रक्षाबंधन की तैयारी अभी से कर रही थी लेकिन भाई-बहन के त्यौहार के पहले ही दोनों बहनों का भाई दुनिया से ही चला गया।
भंगीलाल ने बताया कि उस पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। उसकी पत्नी ललिताबाई का भी रो-रोकर बुरा हाल हो गया है लेकिन वाह रे धरती के दूसरे भगवान तुम्हारा दिल तक नहीं पसीजा।