सीकर। राजधानी जयपुर में प्राचीन मंदिर हटाने पर संघ परिवार के विरोध का सामना कर रहे प्रशासन ने अब सीकर में भी आस्था केन्द्र पर चोट की है।
सीकर में सूर्यपुत्र शनिदेव के मंदिर को पीपल के पेड़ सहित हटाने खिलाफ अभी तक कोई भी हिन्दूवादी संगठन आगे नहीं आया है। प्रशसन की तुगलकी कार्रवाई का विरोध करने के लिए जयपुर से निर्देश आने का इंतजार किया जा रहा है।
घटनाक्रम के अनुसार शहर की सिल्वर जुबली रोड़ के विस्तारीकरण के नाम पर बजरंग कांटा सर्किल के पास नगरपरिषद की दुकानों के पास करीब शतायू पीपल के वृक्ष के नीचे हरदयाल राजकीय स्कूल की दीवार से सटा शनि मंदिर जिला कलक्टर के रास नहीं आया और एक माह पूर्व स्वयं मौके पर गए जिला कलक्टर लक्ष्मीनारायण सोनी ने नगर परिषद सीकर के दस्ते को आदेश देकर ना केवल पीपल के वृक्ष को चबूतरे सहित उखड़वा दिया।
इसके नीचे एक छोटे से मंडप में प्राणप्रतिष्ठत करीब बावन इंच की भगवान शनि की प्रतिमा को भी पास ही स्थित नगर परिषद के महिला शौचालयों के निकट रखवा कर समूचे मंदिर को तहस नहस करवा दिया।
मौके पर उपस्थित मंदिर के एक पांव से विकलांग पुजारी प्रभुदयाल भार्गव (डाकौत) व आस पास के लोग कुछ कहते इससे पहले तो पूरे लावलश्कर से आए लवाजमें ने हाथों हाथ कार्रवाई को अंजाम दे दिया।
अपने आराध्य देव की प्रतिमा को शौचालय के पास देख रूआंसे पुजारी ने आस पड़ोस के लोगों से बातचीत की तो विरोध होता देख जिला कलक्टर लक्ष्मीनारायण ने बिना किसी नियम कायदे की परवाह किए तानाशाही पूर्वक आदेश दे दिया कि जहां प्रतिमा रखी है उसकी पूजा अर्चना करनी है तो यहीं कर लो प्रशासन तो उखाड़े गए पीपल के वृक्ष व तोड़े गए मंदिर के स्थान पर सीमेंन्ट के चौके जड़वाएगा।
मौके पर उपस्थित लोगों ने कहा कि साहब यह मंदिर व पीपल का वृक्ष तो किसी भी तरह यातायात में बाधक नहीं है तथा नगर परिषद के नियमानुसार अगर बिल्डिंग लाईन का भी आंकलन करें तो पास ही स्थित आपके व पुलिस अधीक्षक के आवास के सामने बने अवैध बगीचे की सीमा से तो कहीं अंदर की तरफ है।
फिर भगवान शनि की प्रतिमा को बिना किसी मंडप व सुरक्षा के घरती पर क्यों पटक दिया तो भी जिला कलक्टर ने तिततिमाते हुए कहा बताया कि हमारी कार्रवाई में कोई बाधा नहीं डाले मेरी यही कार्यशैली है इसका आभास ही में जिले की जनता को कराना चाहता हूं।
सूर्यपुत्र शनि की आराधना में लगे क्षेत्र के सैंकड़ों लोगों की भावनाओं को आहत पाकर जब इस संवाददाता ने बात की तो बताया गया कि करीब तीन दशक पहले जीवन दशा सुधारने के लिए एक वणिक पुत्र ने पीपल के वृक्ष के नीचे भगवान शनि की प्रतिमा की विधि विधान से प्राणप्रतिष्ठा करा कर अनुष्ठान किया था। यहां ना तो किसी ने अतिक्रमण की मंशा से और ना ही व्यावसायिक दृष्टीकोण से भगवान शनिदेव स्थपित किए तथा मंदिर का स्थान अपने आप में बयां करता है कि यह यहां संभव भी नहीं है।
मौके पर उपस्थित लोगों ने बताया कि यहा पहले दीपक माथुर नामक भक्त प्रतिदिन पूजा पाठ करता था तथा करीब आठ वर्ष पूर्व इसकी जिम्मेदारी प्रभुदयाल भार्गव को दे दी गई। प्रत्येक शनिवार को पूजा-अनुष्ठान व आराधना के कार्यक्रम होने से श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने लगी और हरदयाल स्कूल के पास मंदिर का छोटे रूप में ही सुविधाजनक विधि विधान से जीर्णोद्धार किया गया।
जिला प्रशासन के तालिबानी फतवे के कारण महिला शौचालय की दीवार के पास रखी भगवान शनि की प्रतिमा से आहत श्रद्धालुओं ने प्रशासनिक तांडव से मजबूरीवश आपस में पाई पाई जोड़ कर स्थान की चिन्ता किए बिना ही एक छोटा मण्डप बनाकर भगवार शनि की प्रतिमा की विधि विधान से दुबारा प्राण प्रतिष्ठा की है।
मौके पर उपस्थित जानकार पंडित ने बताया कि शहर के लोगों की आस्था पर सीधी चोट है विशेषकर शनि की दशा से पीड़ित उपासकों के जो यहां शनिवार को नियमित विधि विधान से अनुष्ठान करते थे।
आस्थावानों के यह भी दर्दकारी है कि पहले उत्तर मुखी शनिदेव की प्रतिमा के मुख की दिशा को ही बदल कर अब पश्चिम मुखी करना पड़ा है जिसके सामने नगर परिषद की ओर से निर्मित महिला शौचालय की दीवार है और मल-मूत्र के भण्डारण का स्थान भी मदिर की सीमा से जुड़कर ही खुदा हुआ है लेकिन करें तो क्या करें।
इस संबंध में जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भंवरलाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह छोटा मंदिर है कोई बड़े मंदिर पर कार्रवाई होगी तो देखेंगे फिर भी सीकर में मंदिर तोड़ने की घटना पर किसी प्रकार का प्रदर्शन करने के लिए हमें जयपुर से कोई निर्देश नहीं मिले हैं।
जनप्रतिनिधि व भाजपा के सीकर विधायक रतन लाल जलधारी ने कहा कि प्रदेश की मंदिर बचाओं संधर्घ समिति की ओर से राजस्थान सरकार को सात दिवस में कार्यवाही की मांग को लेकर दिए गए घनश्याम तिवाड़ी, नरपतसिंह राजवी, सुरेन्द्र पारीक सहित चार विधायकों के ज्ञापन की उन्हें जानकारी नहीं है तथा सीकर में भगवान शनि के मंदिर को तोड़ा गया है तो वे इस संबध में कुछ नहीं कह सकते क्योंकि उन्हे जयपुर से कोई निर्देश नहीं है।