इलाहाबाद। ज्योतिषपीठ बद्रिकाश्रम पीठ के शंकराचार्य पद का दावा करने वाले स्वामी वासुदेवानंद को गुरूवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा। दो जजों की खण्डपीठ ने लगभग तीन सप्ताह की लम्बी सुनवाई के बाद वासुदेवानंद की अन्तरिम अर्जी को खारिज कर दी।
निचली अदालत के 5 मई 2015 के फैसले के खिलाफ यह अपील हाईकोर्ट में दायर की गयी है। इलाहाबाद के सिविल जज ने 5 मई 2015 को फैसला देकर ज्योतिषपीठ बद्रिकाश्रम का स्वामी स्वरूपानंद को शंकराचार्य माना था एवं स्वामी वासुदेवानंद को शंकराचार्य पद का छत्र, चंवर, सिंहासन आदि के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था।
लोवर कोर्ट ने कहा था वासुदेवानंद शंकराचार्य नहीं बन सकते। कोर्ट के आज के इस आदेश से वासुदेवानंद नासिक कुंभ में भी बतौर शंकराचार्य पण्डाल नहीं लगा सकते।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व न्यायमूर्ति बी.के.श्रीवास्तव की खण्डपीठ ने वासुदेवानंद की प्रथम अपील पर दिया है। प्रथम अपील दायर कर इलाहाबाद जिला अदालत के उस फैसले को चुनौती दी गयी है जिसमें वासुदेवानंद की वसीयत को फर्जी मानते हुए उन्हें शंकराचार्य पद के अयोग्य कर दिया गया।
अपीलार्थी के पक्ष में अंतरिम आदेश पाने के लिए उनके अधिवक्ता मनीष गोयल का तर्क था कि शंकराचार्य स्वरूपानंद का दावा पोषणीय नहीं था तथा उनके द्वारा दायर दावा दूसरा होने के कारण प्रागन्याय (रेस जूडिकेट) के सिद्धान्त से आच्छादित था। इस कारण अपीलार्थी को कोर्ट से अंतरिम राहत की मांग की गयी थी।
विपक्षी शंकराचार्य स्वरूपानंद के वकीलों शशिनंदन, अनूप त्रिवेदी का तर्क था कि इस केस में प्रागनाथ का सिद्धान्त लागू नहीं होगा क्योंकि शंकराचार्य स्वरूपानंद, ब्रहमानंद सरस्वती के शिष्य थे। इनको काशी विद्वतमंडल ने पदारूढ किया था।
कहा गया था कि वासुदेवानंद जिस वसीयत के आधार पर शंकराचार्य बताते है उस वसीयत को ही निचली अदालत ने फर्जी करार दे दिया है। इस नाते उनके पक्ष में अन्तरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता। कहा यह भी गया कि स्वामी वासुदेवानंद मणम्नाथ के हिसाब से भी शंकराचार्य पद के धारण करने के अयोग्य है।
न्यायालय ने पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि अंतरिम आदेश पाने के लिए तीन चीजें जरूरी हैं। प्रथम दृष्टया केस साबित हो। दूसरा न्याय का संतुलन तथा तीसरा अपूरणीय क्षति। कोर्ट ने कहा कि अपीलार्थी वासुदेवानंद के पक्ष में न तो अपूरणीय क्षति का केस बन रहा है और न ही उनके पक्ष में न्याय का सुंतलन ही है। ऐसे में कोर्ट अपीलार्थी की अंतरिम अर्जी को खारिज करती है। परन्तु कोर्ट ने कहा कि इस अपील पर 9 सितम्बर 15 से सुनवाई अंतिम आदेश की सुनवाई करेगी।