नई दिल्ली। बिहार में भारतीय जनता पार्टी के साथ अपनी पार्टी जनता दल (युनाइटेड) के गठबंधन पर चुप्पी तोड़ते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने सोमवार को इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
नीतीश सरकार को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज
उन्होंने कहा कि वह जद (यू) अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस फैसले से सहमत नहीं हैं। यादव ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा कि मैं बिहार में लिए गए पार्टी के फैसले से सहमत नहीं हूं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) तथा कांग्रेस के साथ महागठबंधन तोड़ने के नीतीश के फैसले पर राज्यसभा सदस्य यादव ने कहा कि (2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में) जनादेश इसके लिए नहीं मिला था।
नीतीश कुमार ने सबको चौंकाते हुए महागठबंधन से खुद को अलग करने के बाद फिर से भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर 27 जुलाई को गठबंधन सरकार बना ली।
नीतीश के इस फैसले से प्रत्यक्ष तौर पर जद(यू) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव नाराज हैं। यादव ने कथित तौर पर पार्टी के सहयोगियों से शिकायती स्वर में कहा कि नीतीश ने भाजपा के साथ जुड़ने से पहले उनसे सलाह नहीं ली।
बतादें कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए खेमे में लौटने और बीजेपी के साथ गठबंधन करने के बाद 28 जुलाई को जिस दिन नीतीश ने बिहार विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया उसी दिन कांग्रेस के नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कि शरद के घर जाकर उनसे लंबी बात की थी।
नीतीश के भाजपा के साथ गठबंधन के फैसले से गुस्साए राजद चीफ लालू प्रसाद ने रविवार को शरद यादव के भाजपा के साथ नहीं जाने का दावा करते हुए उनसे अपील की कि सांप्रदायिक ताकतों को परास्त करने के लिए वे पूरे देश का भ्रमण करें तथा इसमें वे अपनी पूरी शक्ति लगा दें।
लालू ने कहा कि आज देश में जिस प्रकार का संप्रदायिक माहौल उत्पन्न किया गया है वैसी स्थिति में शरद यादव जैसे धर्मनिरपेक्ष नेताओं की सख्त जरूरत है। उल्लेखनीय है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने इससे पूर्व शरद यादव को यूपीए में भी शामिल होने का भी न्योता दिया था, पर शरद द्वारा इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की गई है।