नई दिल्ली। आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त करते हुए शशिकला को दोषी करार दिया है। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने चार साल के जेल की सजा सुनाई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई है।
कोर्ट ने शशिकला समेत तीनों आरोपियों को तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने शशिकला, इलावरसी और सुधाकरन तीनों को चार-चार साल की जेल और तीनों पर दस-दस करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब शशिकला मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगी। अगले छह साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकती हैं।
आपको ये भी बता दें कि इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. जयललिता की मौत की वजह से उनपर कोई फैसला नहीं सुनाया गया है। कोर्ट ने बाकी सजा पूरी करने का आदेश दिया है। जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस अमिताभ रॉय की बेंच ने करीब एक हजार पन्नों का फैसला सुनाया है।
जयललिता के दिवंगत हो जाने के चलते उनका मामला खत्म किया गया। फैसला सुनाते समय कोर्ट ने बढ़ते भ्रष्टाचार पर चिंता जाहिर की है।
जयललिता मामला : कानून बैकग्राउंडर
1996 में जया के कभी दोस्त रहे सुब्रह्मण्यम स्वामी ने उनके खिलाफ एक निजी शिकायत दर्ज कराई। उस समय डीएमके की सरकार थी, जिसने स्वामी की शिकायत के आधार पर विजिलेंस विभाग के जरिये एफआईआर दर्ज कराई थी। विजिलेंस विभाग की जांच के आधार पर उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला चेन्नई दर्ज कराया।
उन पर आरोप था कि उन्होंने 66 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति अर्जित की थी। बाद में चेन्नई की कोर्ट ने जयललिता की करीबी रहीं शशिकला और कुछ अन्य लोगों को भी इस मामले में आरोपी बनाया था।
2002 में जयललिता के मुख्यमंत्री बनने के बाद डीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई कि उनके मुख्यमंत्री रहते उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले को कर्नाटक में ट्रांसफर कर दिया।
कर्नाटक के ट्रायल कोर्ट ने करीब अठारह साल के बाद 2014 में जयललिता को आय से अधिक संपत्ति का दोषी पाया। उन्हें चार साल की जेल और सौ करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। जया ने कर्नाटक हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने 11 मई 2015 को जयललिता को बरी कर दिया गया था। कर्नाटक सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
-राज्यपाल ने टाला था शपथ ग्रहण
जयललिता की मृत्यु के बाद पनिरसेल्वम को तमिलनाडु का कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाया गया था। इसके बाद शशिकला स्वयं मुख्यमंत्री बनने के लिए विधायकों को विश्वास में लेने में लगी थी। एआईडीएमके की गत महीने हुई बैठक में अधिकांश विधायक शशिकला को तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बनाने के लिए सहमत हो गए।
इसके बाद पनिरसेल्वम ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा दे दिया था। लेकिन इसी बीच डीएमके नेता स्टालिन ने शशिकला को मुख्यमंत्री बनाने पर आपत्ति जता दी।
उनकी एक दलील यह भी थी कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट में शशिकला पर निर्णय आने वाला है। इस पर राज्यपाल ने शशिकला के पिछले सप्ताह होने वाले शपथ ग्रहण को टाल दिया था।