काठमांडू। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को मंगलवार को नेपाल का प्रधानमंत्री निर्वाचित किया गया। देउबा को 12 साल पहले नेपाल के तत्कालीन महाराजा ज्ञानेंद्र शाह ने प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था।
अपने निर्वाचन के फौरन बाद देउबा ने कहा कि उनकी प्राथमिकता स्थानीय चुनाव कराना तथा संविधान को लागू करना होगा। विदेश नीति पर उन्होंने कहा कि वह भारत तथा चीन दोनों के साथ अच्छे रिश्ते रखेंगे।
प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी पेश करते हुए उन्होंने कहा था कि वह नए संविधान को लागू करने के लिए ईमानदारी पूर्वक काम करेंगे और मधेसी तथा अन्य राजनीतिक मुद्दों के समाधान के लिए अपने रानजीतिक कौशल का इस्तेमाल करेंगे।
चौथी बार प्रधानमंत्री पद के लिए निर्वाचित होने वाले 71 वर्षीय देउबा को मतदान के दौरान मुख्य विपक्षी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) को छोड़कर अधिकांश दलों का समर्थन मिला। कुल 593 मतों में से उनके पक्ष में 388 मत पड़े, जबकि विरोध में 170 मत पड़े।
देउबा तथा पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के साथ समझौता होने के बाद दो मधेसी पार्टियों ने भी उनके पक्ष में मतदान किया, जबकि सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया। देउबा जीत पहले से ही तय थी, क्योंकि किसी भी पार्टी ने उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा था।
पिछले साल अगस्त में देउबा के समर्थन से प्रधानमंत्री बने ‘प्रचंड’ ने नेपाली कांग्रेस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था, जिसके मुताबिक 24 मई को प्रचंड ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। समझौते के मुताबिक, प्रचंड को निकाय चुनाव होने तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहना था, जबकि प्रांतीय तथा केंद्र स्तरीय चुनाव देउबा के प्रधानमंत्रित्व काल में होंगे।
नेपाल के 40वें प्रधानमंत्री देउबा को घरेलू राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जबकि विदेशी नीति पटरी पर है, क्योंकि उनके पहले के प्रधानमंत्री ने भारत तथा चीन के साथ रिश्तों को लगभग पटरी पर ला दिया है।