शिमला। शिमला जिले के सुन्नी इलाके के चेवड़ी में बादल फटने से बहे पर्यटकों के शवों को मिलने की उम्मीद और कम हो गई है। शव खोजने में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) भी असफल रहा है और इसके सदस्यों ने लापता लोगों की तलाश में अब हाथ खड़े कर दिए हैं। एनडीआरएफ ने शनिवार को इन पर्यटकों को ढूंढने का अपना अभियान बंद कर दिया।
बीते मंगलवार को बादल फटने से आई बाढ के सैलाब में पंजाब के पांच पर्यटक बह गए थे। ये पर्यटक पंजाब के नवांशहर के रहने वाले थे और शिमला घूमने आए थे कि अचानक आई प्राकृतिक आपदा का शिकार हो गए।
इन पर्यटकों की तलाश के लिए एनडीआरएफ की टीम गुरूवार को घटनास्थल पर पहुंची थी और लगातार तीन दिन तलाश अभियान चलाया। लेकिन कुछ हाथ न लगने के कारण एनडीआरएफ ने आज शाम अभियान बंद कर दिया। शिमला ग्रामीण के एसडीएम ज्ञान सागर नेगी ने इसकी पुष्टि की है।
एसडीएम ने बताया कि नोटी नाला व आसपास के इलाके में लापता पर्यटकों को तलाशा गया, लेकिन यहां उनके शवों के मिलने की संभावना नजर नहीं आ रही है। ऐसा लग रहा है कि बाढ़ का सैलाब इन पर्यटकों को सतलुज नदी में ले गया है। इसलिए राहत टीमों को इन्हें नोटी नाला के इर्दगिर्द तलाशने से कुछ नहीं मिलेगा। जिसके चलते एनडीआरएफ ने इस अभियान को बंद कर दिया है।
नेगी ने कहा कि पुलिस व होमगार्ड की टीम को सतुलज के आसपास निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि कुछ दिन के बाद शवों के नदी में उपर आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ व जिला प्रशासन ने लापता पर्यटकों को ढूंढने का भरसक प्रयास किया, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी।
इस बीच लापता लोगों के परिजन भी मौके पर हैं और अपने संबंधियो के न मिलने से बेहद परेशान हैं। परिजनों की हर नजर मलवे से भरे इस इलाके पर इस उम्मीद में टिकी हुई है कि आखिर उनके करीबी का शव ही मिल जाए ताकि वे उसका रीति रिवाज के मुताबिक अंतिम संस्कार कर सकें।
उल्लेखनीय है कि बीते 10 मई को दोपहर बाद इलाके में मूसलाधार हो रही वर्षा के बीच अचानक तेज आवाज के साथ सुन्नी के घानवी इलाके में बादल फटा और पानी के वेग के साथ भारी मलबा आ गया। ठीक उसी समय सुन्नी-लूहरी सड़क पर लोटी-मूंगणा के समीप अपने वाहन में बैठे आठ लोग इस मलबे की चपेट में आ गए।