चंडीगढ़। पंजाब में बदले राजनीतिक हालात और अकाली दल के भाजपा पर लगातार बोले जा रहे हमलों से परेशान भाजपा अब कभी भी शिरोमणि अकाली दल का साथ छोड़ सकती है। इस गठबंधन के टूटने की संभावना प्रबल है।
25 साल पुरानी दोस्ती में टर्निंग प्वाइंट आ गया है, लिहाजा बहुत जल्द भाजपा-अकाली गठबंधन टूट सकता है। इसको लेकर शनिवार को दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं वित्तमंत्री अरुण जेतली के आवास पर मैराथन बैठक चली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली, पार्टी के संगठन महासचिव राम लाल, पंजाब के प्रभारी प्रभात झा की मौजूदगी में अमित शाह ने कोर कमेटी के एक-एक सदस्य से अलग-अलग राय ली।
गठबंधन राजनीति में यह पहला मौका है, जब भाजपा का अध्यक्ष रिश्ता तोडऩे पर सीधी बात कर रहा हो। करीब 3 घंटे चली बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने वरिष्ठ नेताओं की राय लेने के बाद कहा कि अब मैं बताऊंगा कि आगे क्या करना है। गौरतलब है कि शिरोमणि अकाली दल पिछले 2 सप्ताह से भाजपा के खिलाफ पूरा बगावती तेवर अपनाए हुए है।
खुद पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल प्रधानमंत्री के महत्वपूर्ण फैसलों पर खुलेआम आपत्ति जता चुके हैं। अकाली दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल भी लगातार मोदी सरकार को निशाने पर लिए हुए हैं। गत 26 जनवरी की गणतंत्र दिवस परेड में सिख रैजीमैंट के शामिल न होने के बहाने प्रकाश सिंह बादल ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अटैक किया था।
पीएम को कड़ी चिठ्ठी लिखकर आगे ऐसा न होने की हिदायत भी दी थी। सूत्रों के मुताबिक अकाली दल पंजाब में हो रहे उपचुनाव का इंतजार कर रहा है। 16 फरवरी को उसका रिजल्ट आएगा, उसके बाद गठबंधन टूट भी सकता है। यही कारण है कि बैठक में नए अध्यक्ष को चुने जाने और मंत्रिमंडल के विस्तार पर चल रही चर्चाओं को बीच में ही रोक दिया गया।