लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर टकराव जारी है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों की सूची भेजने के बाद शिवपाल सिंह यादव ने सोमवार को पार्टी मुखिया मुलायम के साथ करीब चार घंटे की मैराथन बैठक की। हालांकि बैठक के बाद शिवपाल ने कहा कि टिकट को लेकर पार्टी में कोई समस्या नहीं है।
उन्होंने मामले को तूल देने के लिए मीडिया को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि आप लोग इसे अनायास ही बढ़ा चढ़ा कर पेश कर रहे हो। चुनाव की तिथि घोषित होते ही सब कुछ ठीक हो जाएगा। टिकट बंटवारे में सब की राय ली जाएगी।
दूसरी तरफ पार्टी सूत्रों की माने तो टिकट बंटवारे को लेकर अखिलेश और उनके चाचा शिवपाल में तनातनी तेज हो गयी है। दोनों लोग एक बार फिर फिर आमने सामने आ गए हैं।
अखिलेश ने रविवार देर शाम मुलायम के पास प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों की सूची भेजी तो शिवपाल ने तत्काल उस पर एतराज जताया। उन्होंने ट्वीट कर चेतावनी भी दी कि पार्टी में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार अखिलेश ने जो सूची मुलायम को सौंपी है, उसमें अतीक अहमद, अमन मणि और अंसारी बंधुओं के नाम नहीं हैं, जबकि शिवपाल द्वारा पूर्व में ही जारी 175 प्रत्याशियों की सूची में इन सबके नाम हैं।
दरअसल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दागदार लोगों को पार्टी प्रत्याशी नहीं बनाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने कई बार सार्वजनिक रुप से कहा भी है। उधर शिवपाल का कहना है कि पार्टी चुनाव जीतने वाले लोगों को प्रत्याशी बनाएगी।
अखिलेश यह भी कहते हैं कि प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के नाते विधानसभा चुनाव में उनका और उनकी सरकार का परीक्षण होना है। इसलिए प्रत्याशियों के चयन का अधिकार उनके पास होना चाहिए।
शिवपाल का कहना है कि वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। इसलिए पार्टी के प्रत्याशियों को बगैर उनकी सहमति के नहीं चुना जा सकता। उनका तर्क है कि चुनाव पार्टी लड़ती है न कि सरकार।
ऐसे में टिकट वितरण को लेकर परिवार में मचे इस घमासान का मामला अब पूरी तरह से मुलायम के पाले में है। लेकिन परिवार में वर्चस्व की लड़ाई ने चुनाव के समय पार्टी के प्रचार प्रसार को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है।
मुलायम अब तक मात्र दो चुनावी रैली कर सके हैं और अखिलेश यादव ने चुनाव के लिए तीन नवम्बर को विकास रथ यात्रा शुरु की थी लेकिन एक दिन बाद वह भी थम गई।
चाचा भतीजे के बीच मनमुटाव इस कदर घर कर गया है कि दोनों लोग सार्वजनिक तौर पर मंच साझा करने से बचते दिख रहे हैं। अखिलेश यादव ने तो पार्टी मुख्यालय से भी दूरी बना ली है।