भोपाल। राजस्थान सरकार ने सहाकारिता के नाम पर हो रहे गडबडी को रोकने के लिए कुछ किया हो या नहीं किया हो, लेकिन उन्हीं की पार्टी की मध्यप्रदेश सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है। सहकारी बैंकों की मनमानी और इनमें होने वाली धांधली पर नियंत्रण के उद्देश्य से मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने इन पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
इसके लिए राज्य सरकार सहकारिता अधिनियम में संशोधन करने जा रही है ताकि वित्तीय अनियमितताओं को रोका जा सके और गडबडी करने वालों को जेल भेजा जा सके। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने आशय के संकेत सहकारी साख संरचना की समीक्षा के दौरान दे दिये है।
चैहान ने सहकारी समीक्षा के दौरान कहा कि जिला सहकारी बैंकों में कुप्रबंधन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अपात्रों को ऋण बांटने एवं अन्य वित्तीय अनियमितताएं करने वाले सहकारी बैंकों के अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर उन्हें जेल भिजवाया जाएगा। समीक्षा में दौरान बताया गया कि आठ सहकारी बैंकों- दतिया, मुरैना, ग्वालियर, जबलपुर, राजगघ्, रायसेन, सीधी और गुना का वित्तीय प्रबंधन सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारी बैंकों के कामकाज पर कडी निगरानी रखने की जरूरत है। उन्होंने ऋण संतुलन के लिए कडे कदम उठाने की आवश्यकता जताई और कहा कि आर्थिक अनियमितताएं किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं होगी, ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त करवाई की चेतावनी भी दी। उन्होंने सहकारी बेंकों को ऋण वसूली की स्थिति को भी तत्काल सुधारने की आवश्यकता जताई ताकि किसानों को ऋण सुविधा का पूरा लाभ मिल सके। उनका कहना था कि जितनी अच्छी वसूली होगी उतना ज्यादा ऋण लाभ उन्हें मिल सकेगा।
अधिनियम में होगा संशोधन
मुख्यमंत्री ने बैठक में म.प्र. सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 में प्रस्तावित संशोधनों पर भी चर्चा हुई। सहकारी संस्थाओं में संचालक मंडल के स्थान पर प्रशासक की नियुक्ति तथा अधिकतम एक वर्ष में निर्वाचन संपन्न करवाने, प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों में मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की नियुक्ति के लिए संवर्ग बनाए रखने का अधिकार रजिस्ट्रार को देने, सहकारी बैंकों के संचालक मंडल को हटाने के पहले रिजर्व बैंक के परामर्श की अनिवार्यता समाप्त करने, पंजीयक द्वारा आडिटर नियुक्त करने, केवल 500 करोड रूपए से ज्यादा का करोबार करने वाली सहकारी संस्थाओं के आडिट विधानसभा में रखे जाने के संशोधन प्रस्तावित हैं।