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शिवराज की गलफांस बने मंत्री नरोत्तम मिश्रा! - Shivraj Singh Chouhan disqualified minister Narottam Mishra
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मंत्री नरोत्तम मिश्रा को लेकर शिवराज धर्मसंकट में!

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मंत्री नरोत्तम मिश्रा को लेकर शिवराज धर्मसंकट में!
Shivraj Singh Chouhan under pressure over minister Narottam Mishra!
Shivraj Singh Chouhan under pressure over minister Narottam Mishra!
Shivraj Singh Chouhan under pressure over minister Narottam Mishra!

भोपाल। मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के पेड न्यूज के मामले में फंसने पर उनकी विधानसभा सदस्यता पर खतरा मंडराता देख मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान धर्मसंकट में पड़ गए हैं। उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मिश्रा अब राष्ट्रपति चुनाव में मतदान कर पाएंगे?

निर्वाचन आयोग मंत्री मिश्रा को चुनाव लड़ने में अयोग्य ठहरा चुका है। आयोग के मुताबिक मिश्रा अब दतिया के विधायक नहीं रहे। आयोग के फैसले को अदालत में चुनौती देने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि जबलपुर उच्च न्यायालय उन्हें संकट से उबार लेगा, लेकिन वहां से भी उन्हें अभी राहत नहीं मिल सकी है।

वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में डॉ. मिश्रा दतिया विधानसभा से निर्वाचित हुए, लेकिन उनसे पराजित उम्मीदवार राजेंद्र भारती ने चुनाव खर्च का सही ब्यौरा न देने और पेड न्यूज छपवाने की शिकायत वर्ष 2009 में चुनाव आयोग से कर दी। यह प्रकरण उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय के बाद चुनाव आयोग पहुंचा। आयोग ने 23 जून को अपने फैसले में मिश्रा को तीन वर्ष के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया।

इस फैसले को मिश्रा ने उच्च न्यायालय ग्वालियर में चुनौती दी, फिर मिश्रा के आवेदन पर प्रकरण जबलपुर की प्रिंसिपल बेंच स्थानांतरित हो गया। इसके बाद भारती ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की, इस याचिका के मद्देनजर उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए 17 जुलाई को मतदान होना है और चुनाव आयोग बुधवार को मतदाताओं की सूची जारी कर सकता है। सवाल उठ रहा है कि अयोग्य घोषित कर चुके मिश्रा को आयोग क्या विधायकों की सूची में शामिल करेगा? नाम नहीं होगा, तो वे मतदान नहीं कर सकेंगे और विधानसभा में जाने का अधिकार तक खो देंगे।

वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर का मानना है कि चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रपति चुनाव के लिए जारी की जाने वाली विधायकों की मतदाता सूची से सारी तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी। सूची में अगर मिश्रा का नाम होता है, तो वे विधायक हैं और अगर सूची में नाम नहीं है तो विधायक नहीं हैं। यानी आयोग की सूची ही सारे कयासों पर विराम लगा सकती है।

वहीं वरिष्ठ कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने मिश्रा के तत्काल इस्तीफे की मांग की है। उनका कहना है कि नैतिकता की बात करने वाले दल को नैतिकता दिखानी भी चाहिए, जो आयोग आपको निर्वाचित होने का प्रमाणपत्र देता है, उसी आयोग ने अयोग्य करार दे दिया है, फिर भी वे मंत्री व विधायक बने हुए हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा सिर्फ नैतिकता की ‘बात’ भर करती है।

मिश्रा की विधायकी पर मंडरा रहे खतरे से मुख्यमंत्री चौहान धर्मसंकट में पड़ गए हैं। वजह यह है कि मिश्रा के पास संसदीय कार्यमंत्री जैसा प्रभार है और इसी माह राज्य का विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है। इतना ही नहीं, वे फ्लोर मैनेज करने में भी माहिर माने जाते हैं।

पिछली विधानसभा में 2008-13 में कांग्रेस द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन में ही तत्कालीन कांग्रेस विधायक चौधरी राकेश सिंह से प्रस्ताव का विरोध करवाकर मिश्रा ने कांग्रेस को गहरा आघात पहुंचाया था, इसके अलावा कांग्रेस के भिंड संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार घोषित हो चुके भागीरथ प्रसाद को भाजपा का उम्मीदवार बनवा दिया।

मिश्रा को उच्च न्यायालय से राहत न मिलने और सदस्यता पर संकट मंडराने को लेकर भाजपा के कई नेताओं से संपर्क किया गया, मगर हर किसी ने अपने को इस मसले से दूर रखने का आग्रह करते हुए कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। हां, इतना जरूर कहा कि ‘आगे देखिए होता है क्या!’

मुख्यमंत्री के नजदीकियों का कहना है कि चौहान भी आयोग की सूची का इंतजार कर रहे हैं और संविधान व कानून विशेषज्ञों से मशविरा कर रहे हैं। साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से परामर्श कर रहे हैं कि अगर चुनाव आयोग की सूची में मिश्रा का नाम नहीं होता है, तो क्या कदम उठाए जाएं, जिससे पार्टी की छवि को बचाए रखा जा सके और कांग्रेस केा हमला करने का मौका न मिले।

दूसरी ओर, भाजपा के ही कई नेता और मंत्री को लग रहा है कि अगर मिश्रा की विधायकी जाती है तो उनको लाभ हो सकता है, क्योंकि मिश्रा के पास जनसंपर्क, संसदीय कार्य और जल संसाधन जैसे तीन प्रमुख विभाग हैं, जिन पर कई मंत्रियों की नजर है।