अजमेर। मनुष्य को भगवान ने संसार में अपने कर्तव्यों की पूर्ति के लिए भेजा है ना कि किसी का उपहास करने ओर किसी को पीडा पहुंचाने के लिए। हम मनुष्य है और हंसना हमारा अधिकार है मुस्कुराना हमारा अधिकार है जो व्यक्ति हंसता नहीं है उसे भगवान भी माफ नही करते हैं।
ये सदवचन संन्यास आश्रम के सान्निध्य में शहर के पटेल ग्राउंड में आयोजित श्रीमदभागवत कथा और श्री विष्णू महायज्ञ के दौरान रविवार को संन्यास आश्रम के अधिष्ठाता वेदान्ताचार्य स्वामी शिवज्योतिषानन्द महाराज ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि जब मनुष्य खुश होगा तो वह हंसेगा और हंसने से मन प्रसन्न होता है। उन्होंने कहा कि जीवन को दीपक की तरह बनाओ जो खुद तो जलता है पर दूसरों को प्रकाश देता है। जीवन फूल की तरह होना चाहिए जो मुलायम होता है और हाथ में लेने पर अपनी खुशबू भी छोड देता है।
वही कथा के तीसरे दिन रविवार को कथा व्यास वृन्दावन धाम से आए स्वामी श्रवणानन्द सरस्वती महाराज ने कथा के दौरान कहा कि परमात्मा अनादि और अन्नत है उन्होंने कथा के दौरान धर्म, कर्म, काम और मोक्ष को लेकर वर्णन करते हुए चतुर्थ स्कंध की कथा में धर्म उपाख्यान सुनाया।
महाराज ने शिव चरित्र का वर्णन किया और बताया कि धर्म कभी भी किसी को नीचा दिखाने के लिए नही किया जाता। अर्थ उपाख्यान में धु्रव चरित्र का वर्णन करते हुए महाराज ने कहा कि सुनिती के आधार पर जो धन कमाया जाता है वह ध्रुव है अर्थात वह टिकाऊ होता है और जो धन सुरूचि यानी मनमाने तरीके से कमाया जाता है वह देखने में भेले ही उत्तम लगे परन्तु वह मूल को लेकर भी समाप्त होता है।
इससे पूर्व सुबह श्री विष्णू महायज्ञ में यजमानों ने संन्यास आश्रम के अधिष्ठाता वेदान्ताचार्य स्वामी शिवज्योतिषानन्द के सान्निध्य में हवनकुण्ड में आहुति देकर धर्म लाभ और पुण्य अर्जित किए।
कथा के दौरान वृन्दावन धाम से आए भरत शरण महाराज का संन्यास आश्रम की ओर से स्वागत किया गया। कथा में मौजूद श्रद्धालुओं को सम्बेधित करते हुए स्वामी भरत शरण ने स्वामी शिवज्योतिषानंद की शिक्षा को जीवन के लिए उत्तम बताते हुए कहा कि जीवन धर्म के अनुरुप होना चाहिए।
उन्होंने रामचरितमानस की अपने शब्दों में बड़ी सुंदर व्याख्या की। महाराज ने कथा के महामात्य को बड़े ही सुंदर ढंग से समझाते हुए कहा कि कथा मनोरंजन नहीं बल्कि मन का मंथन है।
धार्मिक अनुष्ठान के दौरान आयोजित श्री विष्णु महायज्ञ में रविवार को यजमान के रूप में कालीचरण खंडेलवाल, शंकर बंसल, किशन बंसल, दिनेश सोनी व पंकज खंडेलवाल ने हवन कुण्ड में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ आहुतियां दी। शाम 5 बजे कथा का समापन श्री हरि की आरती के साथ हुआ।