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भागवत कथा में हुई राधा रानी की संगीतमय आरती

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भागवत कथा में हुई राधा रानी की संगीतमय आरती

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अजमेर। संन्यास आश्रम के तत्वावधान में आश्रम के अधिष्ठाता एवं वेदांताचार्य शिवज्योतिषानंद जिज्ञासु के सान्निध्य में पटेल मैदान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा और श्री विष्णु महायज्ञ के आयोजन में जन सैलाब उमड़ पड़ा।

वृंदावन धाम से आए स्वामी श्रवणानंद सरस्वती ने भागवत कथा की शुरूआत से पूर्व श्री विष्णु महायज्ञ मंडप की परिक्रमा की और व्यास आसन पर विराजमान होने पर राधारानी की सुमधुर स्वर लहरियों के साथ आरती की गई।

कथा का रसपान करवाते हुए स्वामी जी ने मधुर वाणी में श्री मन्नारायण संकीर्तन से कथा की शुरूआत की। उन्होंने कहा कि परमात्मा को हर अवतार में सत् चित् और आनंद ये तीन तत्व मौजूद रहते है। व्यक्ति को महान बनना है तो मन में मनमोहन, श्रीहरि कृष्ण का चिंतन करें। देव बनकर देवता की पूजा करो।

उन्होंने कहा कि मांसाहारियों के मन में संबंधों की कीमत नहीं होती है। उन्होंने बताया कि कृष्ण जन्म के पश्चात नंद बाबा ने पुत्र प्राप्ति का श्रेय रोहिणी को दिया। उन्होंने कहा कि सत्य का आचरण करने वालों को पूर्वाभास हो जाता है।

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कथा के दौरान श्री कृष्ण की बाल लीलाए खासे आकर्षण का केन्द्र बनी जिसमें पुतना उद्वार, शक्तासुर उद्वार, तृणावत उद्वार, मां यशोदा को मुख में ब्रह्माड का दर्शन, नामकरण संस्कार, माखन चौर्य, मंडली गठन, श्री कृष्ण का मिट्टी खाना , नंद बाबा को विराट दर्शन आदि रचनाओं ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।

उन्होंने कहा कि नंद यशोदा पूर्व जन्म में द्रोण ,धरा थे। वर्तमान में मां-बाप की सेवा नहीं करने वालों को स्वामी जी ने सावचेत करते हुए कहा कि तीर्थाटन से भी कोई लाभ नहीं होगा। भागवत प्रेम से किया गया कर्म ही धर्म है। भोजन भगवान के लिए बनाओ, तन,मन, धन श्रीकृष्ण पर लगाओ।

स्वामीजी ने कहा कि भगवान के लिए जीओं को परमात्मा तुम्हारे घर चले आएंगे। भगवान जिसे बांधना चाहे वहीं उनकी भक्ति में बंध पाता है। कथा के दौरान कथा व्यास स्वामी श्रवणानंद सरस्वती ने बताया कि गोकुल के अपशुकनों से त्रस्त होकर वहां के बड़े-बुढ़े वृंदावन चले गए।

कथा के दौरान वत्सासुर उद्वार, बकासुर का उद्वार, अधासुर उद्वार, कालिस उद्वार, देवकासुर उद्वार के साथ ब्रह्मा द्वारा भगवान की स्तुति को विस्तार से बताया गया। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण की आयु महाभारत चीरहरण के दौरान मात्र पांच वर्ष की थी।

उन्होंने बताया कि गोवर्धन पूजा में इन्द्र पूजन निषेध माना गया है। गिरीराज को छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया गया। उन्होंने कहा कि काम सताता हो तो चालीस दिन रास पंचाष्ठी का पाठ करना चाहिए।

पटेल मैदान में आयोजित भागवत कथा में शामिल होने आए शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी का आयोजन समिति की ओर से स्वागत किया गया। मंत्री देवनानी ने व्यासपीठ का पूजन किया और कहा कि शिक्षा में आध्यात्म पाठ्यक्रम को शामिल करने की उनकी इच्छा है जिस पर कार्य जारी है।

देवनानी ने शहर में हो रहे इस धार्मिक अनुष्ठान के प्रति सन्यास आश्रम का और स्वामी शिवज्योतिषानंद जिज्ञासु का धन्यवाद भी ज्ञापित किया।

इससे पूर्व प्रातरू शांति कलश के समीप हवन यज्ञ में यजमान के रूप में कालीचरण खंडेलवाल, पंकज खंडेलवाल, रवि अग्रवाल, शंकर बंसल, किशन बंसल, ओमप्रकाश मंगल सहित बड़ी संख्या में प्रदेश और देश के अन्य जिलों से आए श्रद्धालुओं ने उपस्थित होकर धर्मलाभ कमाया।