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shrimad bhagwat katha and vishnu mahayagya at patel ground in ajmer
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श्रीमद् भागवत कथा : परमात्मा को पाने के लिए संयम आवश्यक

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श्रीमद् भागवत कथा : परमात्मा को पाने के लिए संयम आवश्यक
shrimad bhagwat katha and vishnu mahayagya at patel ground in ajmer
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अजमेर। परमात्मा को पाने के लिए संयम आवश्यक है। कर्दम देवहूति की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान स्वयं कपिल के रूप में उनके पुत्र का रूप लेकर अवतरित हुए। भाग्यशाली वे हैं, जो श्रद्धावान होकर गुरु रूप में परमात्मा का दर्शन कर लें। यह बात वृंदावन धाम से आए सवामी श्रवणानंद सरस्वती ने कही।

श्री संन्यास आश्रम अजमेर के अधिष्ठाता वेदांताचार्य स्वामी शिव ज्योतिषानंद जिज्ञासु के सान्निध्य में पटेल मैदान में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा एवं विष्णु महायज्ञ के चतुर्थ दिवस पर स्वामी ने कहा कि वैराग्य भागवत कृपा से होता है। देवहूति कपिल को गुरु रूप में वरण करती है।

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संसार के राग को साधु के राग की ओर मोड़ दो तो वैराग्य हो जाएगा। जीवन में जब संत मिले तब समझना भागवत कृपा हुई है। सीता ही शांति और सती ही श्रद्धा है। कामना रहित भक्ति अंतरूकरण को पवित्र करती है। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष यह चार पुरुषार्थ है।

जीवन को सुखमय बनाना चाहते हो तो यज्ञ अवश्य करना चाहिए। यज्ञ से दीर्घकाल तक सुख शांति मिलती है। परिवार का मुखिया शंकर जैसा होना चाहिए, जो सहे पर कहे नहीं। उसी घर में शांति विद्यमान होती है। सती शंकर से दक्ष के यज्ञ में जाने की अनुमति मांगती है। श्रद्धा को बनाए रखने के लिए विश्वास आवश्यक है।

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शंकर के अपमान से क्षुब्ध सती योगाठिन में जल गई। दक्ष को दंड मिला और दक्ष को बकरे की गर्दन लगाई। स्वामीजी ने कथा के चौथे दिन ध्रुव चरित्र, वेन की कथा, ऋषभदेव की कथा, भरत आख्यान, दक्ष प्रचेता व नारद संवाद, वृत्रासुर की अपने शब्दों में अति सुंदर व्याख्या की, जिसे सुनकर कथा में मौजूद सैंकड़ों श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए।

कथा के दौरान स्वामीजी ने नारायण नाम की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए हिरण्यकश्चप का वर्णन सुनाया। कथा के दौरान गजेन्द्र मोक्ष की कथा, नृसिंह भगवान का प्राकट्य, समुन्द्र मंथन, वामन बलि की कथा, मत्स्यावतार की कथा, अम्बरीष कथा, सागर की कथा, देवयानी-ययाति की कथा का सुंदर वर्णन किया गया।

कथास्थल पर सोमवार को कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया, जिसमें पूरा पाण्डाल गोकूलमय हो गया। संगीत की सुर लहरियों पर भजनों की प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं को मंत्र-मुग्ध होकर श्रीकृष्ण के रंग में रंग दिया। भजनों की प्रस्तुति के बीच श्रद्धालुओं ने श्री हरि के पावन सानिध्य के लिए नृत्य कर उन्हें रिझाने का प्रयास किया।

इससे पूर्व सुबह कथा स्थल पर शांति कलश के समक्ष श्री विष्णु महायज्ञ का आयोजन संन्यास आश्रम अधिष्ठाता स्वामी शिवज्योतिषानंद जिज्ञासु के सानिध्य में हुआ, जिसमें यजमानों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अग्नि को हवन कुंड में आहूति दी।

इस मौके पर कालीचरण खंडेलवाल, शंकर बंसल, अजय शर्मा, उगमाराम विश्नोई, किशनाराम विश्नोई, किशन बंसल, शिवशंकर फतेहपुरिया, घनश्याम, ओम प्रकाश मंगल, उमेश गर्ग, पंकज खंडेलवाल सहित बड़ी संख्या में बाहर से आए श्रद्धालुओं ने भाग लेकर धर्मलाभ कमाया।