श्रीनगर। जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को घाटी में कश्मीरी युवाओं से बंदूकें और पत्थर छोड़ने का भावुक आग्रह किया और राज्य के लिए विशेष संवैधानिक दर्जे की लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया।
मुख्यमंत्री ने स्वंतत्रता दिवस के मौके पर यहां बख्शी स्टेडियम में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी मुस्लिम देश उन बंदूकों को नहीं बनाता है, जिन्हें आज मुस्लिम एक-दूसरे को मारने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि हमारे बच्चों के हाथों में बंदूकें और पत्थर क्यों थमाए जा रहे हैं..जिनके हाथों में किताब और कलम होने चाहिए।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच करीब दो घंटे तक चला 70वां स्वंतत्रता दिवस समारोह शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया।
महबूबा ने कहा कि उदार संस्कृति, भाईचारा और ईमानदारी, जो कश्मीर की पहचान हुआ करते थे, अब घाटी के बजाय जम्मू और लद्दाख क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले 30 सालों से हम तकलीफों से जूझ रहे हैं, जबकि दुनिया प्रगति और विकास के पथ पर अग्रसर हो चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खूबसूरत वादियां, जंगल और पानी जैसे संसधानों के बावजूद कश्मीर पिछड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है, उसका खामियाजा हमेशा जम्मू एवं कश्मीर के लोगों को भुगतना पड़ा है।
उन्होंने राज्य को मिले विशेष दर्जे के सामने खड़ी चुनौतियों का भी जिक्र किया, क्योंकि इस दर्जे को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।
महबूबा के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय पर मुझे पूरा भरोसा है, अतीत में जब भी राज्य के विशेष दर्जे को खत्म करने का प्रयास किया गया तो सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसे आवेदनों को खारिज कर दिया।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता ने संविधान के अनुच्छेद 35-ए को बचाने के लिए एक संयुक्त रणनीति तैयार करने के लिए जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का आभार भी जताया।
उन्होंने कहा कि फारूक ने उन्हें एक पिता की तरह सलाह और प्यार दिया। महबूबा ने कहा कि राज्य की विशेष दर्जे का बचाव करने के लिए मुख्यधारा की पार्टियों की राह में सत्ता की लड़ाई नहीं आएगी।
मुख्यमंत्री ने झंडा फहराया और एक शानदार परेड की सलामी ली। परेड में पुलिस, अद्धसैनिक बलों और स्कूली बच्चों ने हिस्सा लिया। पहली बार उत्तर प्रदेश पुलिस के एक दल ने भी हिस्सा लिया।
समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, मंत्री, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और वरिष्ठ नागरिक और पुलिस अधिकारी शामिल हुए।
गणमान्य लोगों की सुरक्षा के लिए क्लोज सर्किट कैमरे, इलेक्ट्रानिक सर्विलांस उपकरण सहित तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। अलगाववादियों ने कश्मीर घाटी में विरोधस्वरूप मंगलावर को बंद आहूत किया है।