सिरोही। मानवता से बढकर कोई सेवा नही है। मानवता की सेवा में जो खुशी प्राप्त होती है वो जीवन अमूल्य खुशी होती है। भारतीय संविधान में सभी मनुष्य को सभी प्रकार का अधिकार दिया गया है लेकिन आज भी भारत के कई स्थानो पर शिक्षा की कमी की वजह से गरीब परिवार में शिक्षा की स्थिति अभी भी न्यून है।
उन्होने कहा कि अच्छी शिक्षा व संस्कार देने का दायित्व माता पिता के साथ साथ विद्यालय के गुरूओ की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। देश की सम्पूर्ण संस्कृति का समावेश से एकता का जो छात्रा ने परिचय दिया है जो तारीफ काबिल है। अनुशासन ही व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारती है।
भारत विश्व में एकमात्र देश है जिसमें विभिन्न संस्कृतियो में एकता का समावेश दिखाई देता है यह हमारे लिये गर्व की बात है ये सम्बोधन अन्र्तराष्ट्रीय व राष्ट्रीय समाजसेवा में पुरस्कृत दया बाई ने सेंट पाॅल विद्यालय के रजत जयंति समारेाह में उपस्थित गणमान्य लोेगो को सम्बोधित करते हुए कहा।
प्रवक्ता रंजी स्मिथ ने बताया कि रजत जयंति समारोह में छात्र-छात्राओ द्वारा बालिकाओ को आत्मनिर्भर, साहसी, निडर व निर्णय लेने की क्षमता पर आधारित एक माँ और बेटी के साथ साथ राजा एवं प्रधानमंत्री द्वारा अपने किये गये कार्यो की माध्यम से विभिन्न पहलुओ को दर्शाते हुए सेंट पाॅल के रंग मंच पर एक से एक बढकर प्रस्तुतिया दी।
समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम में भारतीय शास्त्रीय संगीत व पाश्चात्य संगम ने आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन की छटा ने उपस्थित कला प्रेमियो का मनमोह लिया।
कार्यक्रम में स्पेशल गेस्ट दया बाई, मुख्य अतिथि ओटाराम देवासी पशुपालन राज्यमंत्री, अध्यक्षता धर्माध्यक्ष इगनेस मेनेजेस, विशिष्ट अतिथि धर्माध्यक्ष डाॅ. पाॅल थाॅमस, धर्माध्यक्ष थाॅजेस एमसीबीएस संस्था के वाॅयस प्रोविजनल राॅय, जिला प्रमुख पायल परसरामपुरिया, जिला कलेक्टर अभिमन्यु कुमार, जिला पुलिस अधीक्षक संदीपसिंह चैहान, पीएसए मदर जनरल सिस्टर दिव्या, जिला प्रधान प्रज्ञा कुंवर, नगर परिषद सभापति ताराराम माली का विद्यालय प्रशासन की ओर से अतिथियो का साफा एवं पुष्प गुच्छ भेंटकर स्वागत सत्कार किया गया।
25 वर्ष पूर्ण होने पर आकाश में आतिशबाजी का नजारा देखने लायक रहा। सांस्कृतिक कार्यक्रम में छात्र-छात्राओ ने विभिन्न राज्यो के लोकगीत एवं देशभक्ति गीत व सांस्कृतिक नृत्य के माध्यम से लोगो का दिल जीता।
झलक एक कहानी व शास्त्रीय व पश्चात्य संस्कृति के माध्यम से नृत्य
सेंट पाॅल सैकण्डरी स्कूल में आयोजित सांस्कृतिक समारोह में एक से एक बढकर सांस्कृतिक प्रस्तुतियो ने सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम की एक खासियत यह थी कि विभिन्न सांस्कृतिक से ओतप्रोत शास्त्रीय एवं पाश्चात्य संस्कृति का समावेश को देखने के लिए तीन मंचो पर छात्रो ने अपनी अपनी प्रस्तुतियां दी।
प्रस्तुतियो में बालक और बालिका के बचपन में भेदभाव खेलो में एवं बालिका की अपेक्षा बालक को अधिक महत्व दिया जाये। इससे संबंधित कहानी पर छात्रो ने एक से एक बढकर प्रस्तुति में नृत्य गीत में आ लेकर चलो उस देश खुशी मिलती है परियो में….., गुडिया रानी बीटिया रानी, परियो की नगरी में…., लकडी की काठी, काठी पर घोडा, घोडा की दुम पर मारा हथौडा…, तितली उडी, आयी उडी, चली, तितली चली आकाश में…, चुन चुनकर चिडिया आयी, दाल का दाना लायी चिडिया…, पेड में ताली बजी…., जंगल जंगल पता चला है….., चंदा चमके चाये, कितनी मुश्किल ये गाना गाये…., ओम मित्रायं नमः, ओम सूर्याय नमः….., लडकी रखती लडको पर नजर….., द्वारा प्रस्तुति में उपस्थित श्रोताओ ने वाह वाही लुटी।
इस कहानी में मां अपनी राजकुमारी को कहानी सुनाती है उस कहानी से अन्तिम में कहानी के माध्यम से मां को समझाते है कि इस तरह की कहानीया सुनने का वक्त नही है। लडकियो को साहसी, निडर, आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है। अन्तिम में खुद की खोज में निकला, सुनो सुनो, …., हे वुमन वी लव दी गिव इन यू……, अपनी आजादी को …….,
-राजकीय विद्यालय ने दी प्रथम बार प्रस्तुति
सेंट पाॅल के रजत जयंति समारोह में प्रथम बार निजी विद्यालय के अलावा राजकीय विद्यालय तेलपीखेडा के छात्र-छात्रओ ने आदिवासी नृत्य प्रस्तुत कर उपस्थित दर्शको का वाह वाही लुटी। नृत्य में मोर और मेघा के बीच वार्तालाप को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया जिसमें मोर ने मेघा से निवेदन किया कि अकाल होने की स्थिति में यदि बारिश नही होती है तो पशु पक्षी के साथ साथ मनुष्य की भी स्थिति दयनीय होती है।
मेघ ने कहा कि मेरे बिना जीवन कोई नही जी सकता। इस बात को लेकर मोर और मेघा के बीच शर्त लगी। इस शर्त में मोर ने जंगल में विभिन्न स्थानो पर घुमकर पानी के लिए इधर उधर भटकी लेकिन पानी नही मिला आखिर में मोर ने छोटे पत्थर को अपने मुंह में लेकर जंगल की एक गुफा में जाकर सो जाती थी, दूसरे दिन उठकर इसी प्रकार पत्थर को मुह में लेती और फिर सो जाती।
भीषण अकाल मे मोर की ऐसी स्थिति हो गई कि उसके शरीर पर पंख भी बिखरने लगे। गुफा में मोर की आवाज सुनकर मेघा बरस पडे और मोर की जीत हुई। ये नृत्य तेलपीखेडा के बच्चो ने सुन्दर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के दौरान अतिथियो ने उपस्थित गणमान्य लोगो को सम्बोधित किया।
कार्यक्रम में अतिथियो ने भी सम्बोधित करते हुए कहा कि बच्चे हमेशा अपनी संस्कृति को भुल जाते है वर्तमान में समाज के हर व्यक्ति का दायित्व है कि बच्चो में शिक्षा के साथ साथ अच्छे संस्कार देवे तो बच्चे समाज के विकास के लिये अग्रणी बन सकते है। केवल अच्छी शिक्षा देना ही माता पिता का कर्तव्य नही है बल्कि उनके माता पिता को समय समय पर बच्चो को उनकी समस्या, उनके समाधान के लिए एक मित्र बनकर उनकी समस्याओ को हल करना चाहिये।