उज्जैन। सदी के दूसरे सिंहस्थ का आगाज मंगलवार को निकाली गई श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े की पेशवाई से हुआ। सिंहस्थ 2016 की इस पहली पेशवाई में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अपनी धर्मपत्नी साधनासिंह चौहान के साथ शामिल हुए।
उन्होंने आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरीजी महाराज, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरीजी, जूना अखाड़े के संरक्षक हरिगिरीजी, महामंडलेश्वर पायलट बाबा, श्रीमहंत गोल्डनगिरिजी महाराज सहित अन्य उपस्थित महामंडलेश्वरों, श्रीमहंतों से भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
मुख्यमंत्री चौहान ने नीलगंगा स्थित जूना अखाड़े के पड़ाव स्थल पर पूजा अर्चना की और जूना अखाड़े के प्रस्तावित पांच मंजिला भवन के मॉडल का अवलोकन किया। यहां पर जूना अखाड़े की ओर से महंतों ने मुख्यमंत्री चौहान एवं प्रभारी मंत्री भूपेंद्रसिंह का स्वागत किया।
इस दौरान मुख्यमंत्री चौहान ने नीलगंगा के सौंदर्यीकरण एवं यहां लगाए गए फाउंटेन का अवलोकन किया। इस मौके पर स्कूल शिक्षा मंत्री पारस जैन, राज्यसभा सांसद डॉ.सत्यनारायण जटिया, केन्द्रीय सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष माखनसिंह, उज्जैन विकास प्राधिकरण अध्यक्ष जगदीश अग्रवाल, विधायक डॉ.मोहन यादव, संभागायुक्त डॉ. रवींद्र पस्तौर, एडीजी व्ही. मधुकुमार सहित अन्य अधिकारी, जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक, पत्रकारगण एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मयूर रथ पर सवार आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरीजी महाराज के साथ नीलगंगा से पेशवाई में शामिल हुए और श्रद्धालुओं का अभिवादन किया। इस भव्य पेशवाई में सबसे आगे अखाड़े की ध्वजा लिए साधु, संत चल रहे थे। इनके पीछे बैंडबाजों की धुन पर थिरकते हुए हजारों नागा साधु नृत्य एवं अस्त्र, शस्त्र के करतब दिखाते हुए चल रहे थे।
पेशवाई में एक ओर जहां प्रशिक्षित घोड़े नृत्य, करतब दिखा रहे थे वहीं साधु संत भी विभिन्न अस्त्रों, शस्त्रों के करबत दिखा रहे थे। इस भव्य पेशवाई में साधु संत शंखनाद करते हुए उत्साहपूर्वक शामिल हुए। पेशवाई को देखने के लिए पेशवाई मार्ग पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। पेशवाई में 20 घोड़े, दो ऊंट, 8 बैंड और पांच बग्घियां शामिल हुई।
इन बग्घियों पर महामंडलेश्वर विराजित थे। पेशवाई धूमधड़ाकों, बैंडबाजों के साथ नीलगंगा से प्रारंभ होकर तीन बत्ती चौराहा, चामुंडा चौराहा, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज, गोपाल मंदिर, महाकाल मंदिर, हरसिद्धि, दानीगेट, दत्त अखाड़ा होते हुए भूखी माता से गुजरते हुए जूना अखाड़े की सिंहस्थ छावनी में पहुंचकर पेशवाई का समापन हुआ।
पेशवाई के दौरान शहर के विभिन्न चौराहों पर जगह-जगह विभिन्न सामाजिक संस्थाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवी संस्थाओं ने पेशवाई का भव्य स्वागत किया तथा पुष्पवर्षा कर पेशवाई का अभिनंदन भी किया। सामाजिक संस्थाओं द्वारा पेशवाई मार्ग पर विभिन्न स्थानों पर शीतल पेयजल की नि:शुल्क व्यवस्था भी श्रद्धालुओं के लिए की गई। पेशवाई मार्ग पर प्रशासन द्वारा आकर्षक साज सज्जा की गई थी।
तांडव करते साधु बने आकर्षण का केंद्र
जूना अखाड़ा की इस भव्य पेशवाई में जहां हजारों साधु संतों, महात्माओं, श्री महंतों और महामंडलेश्वरों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। बैंडबाजों पर बजाई जा रहे धार्मिक भजनों से वातावरण एवं उज्जैन शहर धर्ममय हो गया। साधुओं द्वारा बजाए गए शंख की ध्वनि से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सिंहस्थ का आगाज इस शंखनाद के साथ हो गया है।
पेशवाई में भगवान शिवशंकर की वेशभूषा में हाथ में त्रिशूल लिए एक साधु तांडव नृत्य करते हुए तो, वहीं नृत्य करते हुए अपनी ऊंगली पर थाली घुमाकर उसे उछालते हुए एक साधु भी पेशवाई में श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहे। अनेकों नागा साधुओं ने पेशवाई में शामिल होकर तलवार त्रिशूल एवं अन्य शस्त्रों के साथ आकर्षक एवं आश्चर्यजनक करतब प्रस्तुत किए।