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sirohi bjp representative meets cm in jaipur on mount abu action
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सांसद के भाई और पालिका उपाध्यक्ष के निर्माण टूटने के बाद मुख्यमंत्री से मिले भाजपाई

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सांसद के भाई और पालिका उपाध्यक्ष के निर्माण टूटने के बाद मुख्यमंत्री से मिले भाजपाई
sirohi bjp representative with dushyantsingh in jaipur before meeting with cm vasundhara raje
sirohi bjp representative with dushyantsingh in jaipur before meeting with cm vasundhara raje
sirohi bjp representative with dushyantsingh in jaipur before meeting with cm vasundhara raje

सबगुरु न्यूज-जयपुर/सिरोही/माउण्ट आबू। नगर पालिका की ओर से गुरुवार को माउण्ट आबू में जालोर भाजपा सांसद देवजी पटेल के भाई नरेश पटेल और माउण्ट आबू की भाजपा बोर्ड की पालिका उपाध्यक्ष अर्चना दवे के मकानों में स्वीकृति के विपरीत किए गए निर्माण को तोडने के दूसरे दिन शुक्रवार को जिले के भाजपा के प्रमुख जनप्रतिनिधियों ने जयपुर जाकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात की।

सूत्रों के अनुसार इस वार्ता में नरेश पटेल और अर्चना दवे के मकान में स्वीकृति के बिना बने हिस्से को कथित रूप से अवैधानिक रूप से तोडने की बात भी चर्चा का एक हिस्सा रही।
माउण्ट आबू में गुरुवार को माॅनीटरिंग कमेटी की उपसमिति के अध्यक्ष और माउण्ट आबू एसडीएम गौरव अग्रवाल के निर्देश पर तहसीलदार मनसुख डामोर और पालिका के कर्मियों ने ढूंढाई मार्ग स्थित सांसद देवजी पटेल के भाई नरेश पटेल तथा नगर पालिका माउण्ट आबू की पालिका उपाध्यक्ष अर्चना दवे के मकान में स्वीकृति विरुद्ध किए गए निर्माण को तोड दिया। इसके बाद जयपुर में भाजपा के जनप्रतिनिधि मुख्यमंत्री से मिले और उन्होंने इस कार्रवाई को अवैधानिक बताया, मुख्यमंत्री ने इस मामले की संभागीय आयुक्त से जांच करवाने को आश्वस्त किया।
शुक्रवार को हुई घटना के बाद माउण्ट आबू पालिकाध्यक्ष सुरेश थिंगर, पालिका उपाध्यक्ष अर्चना दवे, सुनील आचार्य, मांगीलाल काबरा, आबूरोड पालिकाध्यक्ष सुरेश सिंदल, यूआईटी चेयरमेन सुरेश कोठारी समेत रेवदर विधायक जगसीराम कोली, पिण्डवाडा’-आबू विधायक समाराम गरासिया, गोपालन राज्यमंत्री और सिरेाही विधायक ओटाराम देवासी तथा स्वयं सांसद देवजी पटेल भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चैधरी के साथ जयपुर पहुंचे।

सूत्रों के अनुसार इस वार्ता में सांसद के भाई और भाजपा पालिका उपाध्यक्ष अर्चना दवे के मकानों को कथित रूप से अवैधानिक तरीके से तोडने की बात को प्रमुखता से न रखते हुए अपनी विकास संबंधी योजनाओं और विधानसभाओं तथा नगर निकाय क्षेत्र के विकास की मांग और आवश्यकता की चर्चा के दौरान एक हिस्सा बनाया।

इसमें बताया गया कि माउण्ट आबू में आवास की समस्या है। लोगों को आवास नहीं बनने से समस्या आ रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री से इसमें हस्तक्षेप करते हुए माउण्ट आबू के लोगों की समस्या के निराकरण की मांग की। इसी वार्ता में गुरुवार की कार्रवाई पर भी चर्चा हुई।

इस पर मुख्यमंत्री ने माउण्ट आबू के मामले में संभागीय आयुक्त से बात कर  इसकी जांच करने का अश्वासन दिया। इस दौरान यह सभी लोग दुष्यंतसिंह और शहरी विकास मंत्री श्रीचंद कृपलानी से भी मिले। इनसे भी क्षेत्र के संबंध में चर्चा की।
-बजरी पर बैन पर सात दिन में निजात का आश्वासन
इस दौरान जिले में प्रशासन की ओर से बजरी के खनन पर लगाई गई रोक से होने वाली समस्या से भी मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया। ओटाराम देवासी और जगसीराम कोली ने बताया कि किस तरह से बजरी ठेकेदारों के द्वारा राॅयल्टी नहीं वसूले जाने के कारण सिरोही और आबूरोड उपखण्डों में लोगों को बजरी परिवहन करने वालों को प्रशासनिक दण्ड से दो-चार होना पड रहा है।

उन्होंने बताया कि बजरी ठेकेदार राॅयल्टी ले नहीं रहे हैं और यदि कोई ट्रेक्टर वाला राॅयल्टी लेकर बजरी लेना भी चाह रहा है तो दी नहीं जा रही है। ऐसे में लोगों के निर्माण कार्यों पर विपरीत प्रभाव पड रहा है। उन्हें महंगे दामों में बजरी खरीदनी पड रही है। वहीं यदि ट्रेक्टर मालिक बजरी ले भी रहे हैं तो खनन विभाग, पुलिस विभाग, आटीओ, पुलिस और राजस्व विभाग के कार्मिकों के जुर्माने और वसूली का शिकार बन रहे हैं।

इस पर मुख्यमंत्री ने एक सप्ताह में दोनो तहसीलों में राॅयल्टी के अभाव में बजरी परिवहन नहीं होने की समस्या से निजात दिलवाने का आश्वासन दिया।
-भाजपा नगर मंडल से नाराज नजर आए जिला उपाध्यक्ष
इधर, मुख्यमंत्री के सामने प्रशासन के कथित असंवैधानिक रवैये के खिलाफ धरने माउण्ट आबू उपखण्ड कार्यालय के समक्ष सांकेतिक धरना देने वाले भाजपा जिला उपाध्यक्ष सौरभ गांगडिया धरने के दौरान भाजपा नगर मंडल की भूमिका पर खफा नजर आए। उन्होंने व्हाट्स एप पर दिए संदेश में लिखा कि गुरुवार को की गई तोड फोड की कार्रवाई सांसद और अर्चना दवे के विरुद्ध नहीं होकर बीजेपी भाजपा के खिलाफ टारगेटेड है।

उन्होंने लिखा कि शुक्रवार को धरना सांकेतिक था, शायद उग्र आंदोलन भी करना पडे। सभी कार्यकर्ता रेडी रहें। मंडल के कुछ पदाधिकारी तो मौका स्थल पर पर तोन से भी डर रहे है। उन्होंने राय दी कि डरपोक लोगों को नेतागिरी नहीं करनी चाहिए, अपना धंधा ही संभाल लेना चाहिए। गांगडिया ने लिखा कि जब लीडर ही डरपोक होगा तो फिर कार्यकर्ताओं के लिए वो क्या लडाई लडेगा।