सबगुरु न्यूज-सिरोही। जिला मुख्यालय पर पिछले दस दिनों में दो बड़ी घटनाएं हुई। इन्होंने सिरोहीवासियों के बीच पिछले पांच सालों में पैदा हुए नव धनाढ्य वर्ग की पैदाइश के पीछे की कहानी, इन्हें मिल रहे राजनीतिक संरक्षण और प्रशासनिक मिलीभगत की तस्वीर खोलकर रख दी। सोशल मीडिया में वायरल एक ऑडियो रिकॉर्डिंग और कुछ अखबारों की लीरियों पर चर्चा हो रही है।
लोग में पिछले एक दशक में उभरे नव धनाढ्य वर्ग की ऋणं कृत्वाए घृतं पिबेत की नीति जानकार आश्चर्य से आंखें भी फाड़ रहे हैं तो एक ऑडियो रिकॉर्डिंग में सामने आए प्रवासी व्यवसायी, स्थानीय व्यवसायी, राजनेता और अधिकारियों के गठजोड़ पर आश्चर्य भी जता रहे हैं। यह गठजोड जिले में संभवतः काले धन को खपाने का एक बडा गठबंधन बन गया है।
आखिर कैसा पैसा लगा सिरोही में
सिरोही जैसी जगह पर आसमान छूते जमीनों के दामों ने सबको आश्चर्य तो थाए लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा था कि इसके पीछे पैसा लग किसका रहा है।
पिछले दस दिनों में सोशल मीडिया में सामने आई ऑडियो रिकॉर्डिंग और अखबारों में छपी ताबीर ने यह सामने ला दिया कि यह पैसा देसावर से सिरोही में आ रहा था और इसके लिए प्रवासी को भारी प्रतिफल दिया जा रहा है। इसमें सिरोही के कुछ नामचीन लोगों का नाम और सरकारी अधिकारियों के पदों पर चर्चा में आना पिछले एक साल के कई घटनाक्रमों पर पड़े पर्दे को हटा दिया है।
यह प्रवासी पैसा किस तरह स्थानीय अधिकारियों, व्यापारियों और जनप्रतिनिधियों के एक गठजोड़ बनाकर जन उत्पीडन का कारण बना है इसका दावा सोशल मीडिया में किया जा रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है कि करोड़ों रुपये के लेनदेन की बात सामने आ रही है वह कालाधन था या सफेद।
शक प्रमुख नेताओं पर भी
आश्चर्य की बात यह है कि जमीनों की बंदरबांट को लेकर सिरोही के एक वर्ग में मचे घमासान से लोगों में यह चर्चा बढ़ गई है कि इसमें राजनीतिक हस्तक्षेप है और दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के नेता इसके हिस्सा हैं। शिवगंज में होने वाली एक रजिस्ट्री को करने और ना करने को लेकर मिलीभगत के लिए तो जिले में दोनों राजनीतिक पार्टियों के दो प्रमुख नेताओं पर भी सोशल मीडिया में आरोप मढे जा चुके हैं। इस विवाद ने यह बता दिया है कि क्यों कर एक राजनीतिक पार्टी के लोग जब गोयली चैराहे पर एक महिला को पीटकर सिर फोड़ देते हैं तो दूसरी राजनीतिक पार्टी कथित दबंग और जुझारू नेता चुप्पी साध लेते हैं। यह स्पष्ट है कि जमीनों के लिए लड़ी जा रही इस जंग में अधिकारियोंए नेताओं और स्थानीय व्यवसाइयों की मिलीभगत ने जरूरतमंद और मजबूर लोगों का जीना दुष्वार कर दिया।
कहीं गठजोड़ की वजह से तो नहीं अटकी जांचें!
चैन्नई से सिरोही तक वायरल हो चुकी एक टेलीफोनिक वार्ता की रिकॉर्डिंग यह भी शंका जरूर पैदा कर दे रही है कि क्यों सिरोही पुलिस जमीनों को खुर्दबुर्द करने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है या क्यों कर के जिला कलक्टर कार्यालय और उपखण्ड अधिकारी कार्यालय से खसरा न बर 1218 की जांच बाहर क्यों नहीं आ रही है।
ऑडियो रिकॉर्डिंग में हुई वार्ता में जिन लोगों के जमीनों को लेकर पैसों के आदान-प्रदान और मध्यस्थ होने के नाम आए हैं, वह गाहे-बगाहे सिरोही के अधिकारियों को अपने हितों में इस्तेमाल करते और सार्वजनिक रूप से इन्हें मालाएं पहनाते हुए सोशल मीडिया और सार्वजनिक जीवन में नजर आए हैं।
फिर चाहें वह घटनाक्रम गत स्वतंत्रता दिवस का हो या फिर सिरोही के लिए चले जल आंदोलन के बाद का या फिर कालका तालाब में किशोर के डूबने और उसके बाद का।
नगर परिषद सिरोही तो केंद्र नहीं!
सिरोही नगर परिषद में भाजपा के काबिज होने के बाद यहां से निकले वैध.अवैध पट्टे सिरोही की सरकारी और गैर सरकारी जमीनों पर अन्य जिलों के देसावर रहने वाले लोगों की नजर है। नगर परिषद चुनावों में जिन प्रवासियों का पैसा लगने की चर्चा सुनी थीए पिछले दस दिनों में मीडिया और सोशल मीडिया में वही लोग जमीन और पैसे के विवाद को लेकर वह नाम फिर से चर्चा में आ गए।
इनका नाम नगर परिषद सिरोही से भी कहीं ना कहीं जाकर जुड रहा है। इतना ही नहीं इन विवादों में जिन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, गत वर्ष गोयली चैराहे और अन्य स्थानों पर हुई कार्रवाई में इन्हीं विवादों मे शामिल लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए कार्रवाई करने में नगर परिषद और स्थानीय प्रशासन तत्पर नजर आया।