आबूरोड। एक ही कमरे में चलता चिकित्सालय…, ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच करता झोला छाप चिकित्सक…, मरीज के गले में हुए बड़ी फुंसी को नाइफ से काटकर ऑपरेशन कर टांके लगाता कथित चिकित्सक…, सुरक्षा मापदंडों का सर्वथा अभाव…, कथित चिकित्सालय पर साइन बोर्ड का अभाव…, चिकित्सक का नदारद नाम…।
कुछ ऐसा ही नजारा समीपवर्ती अचपुरा गांव में देखने को मिला। चिकित्सक का पर्याय बना बंगाली युवक बेखौफ कार्य को अंजाम दे रहा है। ऐसे में अधिकारियों की लापरवाही से ग्रामीणों के सिर पर किसी बड़े हादसे की तलवार लटकी हुई है।
अर्बुदांचल के अचपुरा गांव के रहवासी क्षेत्र में लंबे समय से एक चिकित्सालय चल रहा है। जहां कथित चिकित्सक ग्रामीणों के स्वास्थ्य से खुले आम खिलवाड़ कर रहा है। एक कमरे में चलते चिकित्सालय में बकायदा दो पलंग बिछाए गए है। जहां मरीजों का उपचार आदि किया जा रहा है।
चिकित्सक द्वारा ग्रामीणों के स्वास्थ्य जांच कर दवाईयांं देने के साथ इंजेक्शन आदि भी लगाए जा रहे है। मौके पर मौजूद कोलकाता का युवक ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच करता रहा। स्वास्थ्य जांच कर रोगियों को इंजेक्शन व दवाईयां दी गई।
रहवासी मकान के एक कमरे में चिकित्सालय संचालित किया जा रहा है। कथित चिकित्सालय के बाहर साइन बोर्ड तक नहीं है। साथ ही चिकित्सक का नाम, उसकी डिग्री आदि का उल्लेख भी नहीं किया गया है। एक कमरे में ही समूची चिकित्सकीय कार्यवाही को अंजाम दिया जा रहा है।
गले पर चलाया नाइफ
मावल के समीप वासड़ा से पहुंचे एक युवक ने मौके पर मौजूद युवक को चेहरे व गले में फोड़े-फुंसी होने की जानकारी दी। इस पर युवक ने बिना किसी सुरक्षा साधनों, हाथों में ग्लब आदि पहने उसका ऑपरेशन शुरु कर दिया। गले के फोड़े पर नाइफ चला दिया। घाव की सफाई कर टांके लगा दिए।
ना पर्ची, ना कोई सबूत
कथित चिकित्सालय में मरीज की जांच करने वाले युवक द्वारा रोगियों को रोगी पर्ची तक नहीं दी गई। मरीज द्वारा दी गई दवाओं के किसी मेडीकल में मिलने के बारे में पूछे जाने तक उपचार कर रहे युवक द्वारा अनभिज्ञता जाहिर की गई।
गठित है कमेटी…
लॉ एंड ऑर्डर से जुड़ा मामला है। इस तरह के मामलों में जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा एसडीएम की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है।
-डॉ. सुशील परमार, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिरोही।