सबगुरु न्यूज-सिरोही। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना के तहत सिरोही में चल रही लाखेराव तालाब की खुदाई को राजनीतिक कारणों से रुकवाने का संदेश जैसे ही दानदाता ने सोशल मीडिया में वायरल किया उसके चंद मिनटों में ही इसका विरोध देखने को मिला।
इस संदेश में गंदी राजनीतिक कोशिश के कारण ऐसा होने का जिक्र करने से लोगों ने प्रशासन की इस कार्रवाई की निंदा करते हुए सीधे यह सवाल भी खडा कर दिया कि स्थानीय नेताओं की इतनी हिमाकत हो गई है कि वह इस काम का विरोध करके सीधे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को चुनौति दे सकें। दरअसल मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना को लेकर बहुत संजीदा हैं।
यह इसी बात से पता चलता है कि विधायकों और प्रभारी मंत्रियों की रिपोर्ट कार्ड को लेकर जो प्रपत्र दिया उसमें इस योजना की प्रगति का विशेष उल्लेख है। ऐसे में सवला यह भी उठता है कि मुख्यमंत्री जल संरक्षण अभियान के तहत हो रही सिरोही की खुदाई का कार्य रुकवाने की राजनीति करने वाले लोग तीनों विधायकों और प्रभारी मंत्री की खिलाफत करने में तो नहीं लगे हुए हैं, क्योंकि यह तो तय है कि इस मुद्दे को लेकर जिस तरह से सोशल मीडिया पर दानदाताओं की प्रतिक्रिया आ रही है, उससे यही प्रतीत होता है कि वह सरकार के सहयोग में अब चवन्नी भी खर्च नहीं करेंगे।
वैसे प्रशासन इस काम को रुकवाने का आदेश देने की बात को गलत बता रहा है बुधवार शाम को लाखेराव तालाब पर पहुंचे तहसीलदार ने बताया कि वह कार्य के निरीक्षण के लिए गए थे। वैसे शहर के प्रबुद्ध नागरिक इस प्रकरण को लेकर सीधे मुख्यमंत्री से मिलने का भी मानस बना रहे हैं, जिससे सिरोही में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना को फेल करने के पीछे लगे नेताओं की स्थिति को उनके समक्ष स्पष्ट किया जा सके। वैसे सोशल मीडिया में इस मामले में प्रभारी मंत्री के दखल की बात भी उठने लगी है। इस प्ररकण पर प्रशासन की भूमिका भी सोशल मीडिया में संदेहास्पद बनी हुई है।
-विरोधी भाजपाई या कांग्रेसी
सिरोही के प्रवासी सम्मेलन में सिरोही शहर में जल स्वावलम्बन योजना के लिए दान की सबसे बडी राशि देने वाले दानदाता ने संदेश में बताया कि राजनीतिक कारणों से इस काम को बंद करवाया है। तो सवाल यह भी उठता है कि यह राजनीति दबाव कौन डाल रहा है। जिले में कांग्रेस के किसी भी नेता ने सिरोही शहर या जिले में मुुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना के तहत हो रहे कामों को विरोध नहीं जताया। वैसे बुधवार को दिए गए ज्ञापन में जरूर एक लाइन में इस कार्य के लिए कांग्रेस के लोगों को शामिल करने की बात लिखी हैं, लेकिन कांग्रेस के किसी भी पदाधिकारी की इसे लेकर कोई सहमति या विरोध नहीं आया है।
हां, दो दिन पहले व्हाट्स एप समुह में भाजपा सिरोही ब्लाॅक अध्यक्ष सुरेश सगरवंशी और भाजयुमो जिलाध्यक्ष हेमंत पुरोहित ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि सिरोही शहर में तालाबों की खुदाई को लेकर जो समिति बनाई गई उसमें सभापति ताराराम माली को शामिल क्यों नहीं किया गया। वैसे सगरवंशी ने यह भी जोडा कि शहर में खुदाई जलस्रोतों की खुदाई का कार्य सराहनीय है। इस संदेश के दो दिन बाद ही इस काम को कथित रूप से राजनीतिक कारणों से प्रशासन की ओर से रुकवा देने का संदेश दानदाता की ओर से वायरल करने के बाद इस हरकत की सोशल मीडिया पर चहुंओर निंदा होने लगी और के पीछे विशेष पार्टी और गुट पर अंगुली उठने लगी।
वैसे सिरोही भाजपा ब्लाॅक अध्यक्ष और भाजयुमो जिलाध्यक्ष के समिति में सिरोही सभापति ताराराम माली को शामिल नहीं किए जाने के संदेश के वायरल होने के बाद खुद सभापति ने भी सोशल मीडिया या प्रेस नोट के माध्यम से यह संदेश नहीं दिया कि समिति में उनको शामिल नहीं करने की राय से उनका कोई व्यक्तिगत लेना-देना नहीं है, जिससे लोगों में यह संदेश जा सके कि यह राय उनकी नहीं बल्कि भाजपा के दोनो पदाधिकारियों की निजी राय है।
यदि यही एक कारण मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना को कथित रूप से रोकने का है तो मुख्यमंत्री तो यह बात मुख्यमंत्री तक दानदाताओं पहुंचानी चाहिए। वैसे इस मुद्दे को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की प्रथम जिम्मेदारी प्रभारी मंत्री और जिले के तीनों विधायकों की भी बनती है, आखिर मुख्यमंत्री की ओर से उनकी सीआर के लिए जारी प्रपत्र में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना का मुद्दा भी तो प्रमुख मुद्दा है और यह जानते हुए भी यदि उनकी ही पार्टी के लोग अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण यह काम रुकवाने का प्रयास कर रहे हैं तो ऐसे लोग मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री और तीनों विधायकों की भी मुखालफत करते नजर आ रहे हैं।
-ज्ञापन भी दिया
इधर, बुधवार शाम को सिरोही के सुभाष उद्यान में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तहत हो रहे कार्य को रुकवाने के लिए प्रकाश माली ने एक ज्ञापन भी दे दिया। एडीएम प्रहलाद सहाय नागा को दिए गए इस ज्ञापन में यह लिखा गया कि पुराने बस स्टैण्ड के पीछे स्थित छोटे तालाब से दो दिन से कुछ लोग बिना मापदंड के खुदाई कर रहे हैं और मिट्टी निकाल रहे हैं। इसका तलिया पहले ही फूटा हुआ है और इसकी खुदाई करने से पानी भरने से नवरात्रि में रामझरोखा मंदिर के बाहर तथा नेहरू उद्यान में से मुख्य सडक पर पानी का रिसाव होने से लोगों को आने जाने में समस्या होगी। इसमें यह बताया कि दो साल पहले इस तालाब की खुदाई करवाई गई थी, इस दौरान गहरे गड्ढे होने से इस तालाब में पानी भरने से कई आकस्मिक हादसे हुए थे।
इसमें यह भी लिखा कि यदि खुदाई करवाई भी जाए तो कलक्टर, एडीएम या तहसीलदार की देखरेख में समरूप खुदाई करवाई जाए। इसमें इस तालाब से निशुल्क ले जाई जा रही मिट्टी के कारण हो रहे राजस्व नुकसान का भी जिक्र किया है। इसमें आरोप लगाया है कि कुछ प्रभावशाली लोग ही यह मिट्टी ले जा रहे हैं। इसमें प्रशासनिक तौर पर कमेटी गठित करके ही खुदाई कार्य शुरू करने की बात कही। इसमें लिखा गया कि कालकाजी तालाब की खुदाई भी अत्यावश्यक है। इसमें लिखा कि इस काम को रुकवाकर विधायक ओटाराम देवासी के कर कमलो से इस काम को करवाया जाए या सांसद देवजी पटेल, नगर परिषद आयुक्त को इसमें शामिल किया जाए।
इसमें लिखा गया कि उक्त लोगों के साथ सभापति को भी शामिल करते हुए जल संरक्षण का काम शुरू करवाया जाए। वैसे कांग्रेस के प्रबुद्ध लोगों को भी इस कार्य में शामिल करने की बात इस ज्ञापन में लिखी गई है। ऐसा नहीं होने पर न्यायालय की शरण में जाने की बात कही है।
-फिर सभी जगह की मिट्टी का हिसाब जरूरी
ज्ञापनदाता की ओर से तालाब की मिट्टी को मुफत में ले जाने से राजकोष को नुकसान पहुंचने पर भी चिंता जताई गई है। तालाब की खुदाई के कार्य में लगी संस्थान के लोगों को कहना है कि माइनिंग विभाग के कार्मिक भी इस काम में मिट्टी की खुदाई को लेकर सवाल-जवाब करने पहुंचे थे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि फिर कृष्णगंज में प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी, जिला कलक्टर, पुलिस अधीक्षक, सिरोही सभापति, भाजपा जिलाध्यक्ष, जिला उपप्रमुख समेत भाजपा पदाधिकारियों व सरकारी कार्मिकों की ओर से की गई खुदाई की मिट्टी कहां गई। इससे कितना राजस्व प्राप्त हुआ। इसके अलावा सिरोही जिले में और प्रदेश भर में मुख्यमंत्री जल स्वालम्बन योजना के तहत हो रही डी-सिल्टिंग की मिट्टी से कुल कितना राजस्व प्राप्त हुआ है, इसका हिसाब राज्य सरकार को देना चाहिए।
-कयास यह भी
इधर, दानदाता ने यह भी संदेश दिया कि इस प्रकरण को हल करने के लिए प्रशासन पूरी कोशिश कर रहा है। राजनीतिक पार्टी के लोगों से संपर्क भी कर रहा है। इसके बाद बुधवार रात्रि को करीब ग्यारह बजे नवीन भवन में राजस्थान दिवस समारोह के दौरान दर्शक दीर्धा से अलग हटकर कुछ स्थानीय नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच हो रही मंत्रणा को इसी समझाइश से जोडकर देखा जा रहा है।
-इन संस्थाओं के सहयोग से हो रही है खुदाई
सिरोही में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तहत प्रशासन के तकनीकी मार्गदर्शन में कई दानदाता और स्वयंसेवी संस्थाएं जुडी हुई हैं। इनमें करीब छह साल पहले सिरोही के तालाबों की खुदाई करवाने वाली जल बिरादरी के अलावा आदर्श चेरीटेबल ट्रस्ट, ज्ञान रमण फाउण्डेशन, सेवा भारती, पर्यावरण सुरक्षा संस्थान आदि के सहयोग से खुदाई कार्य करवाया जा रहा है।
इसके लिए आदर्श चेरीटेबल ट्रस्ट के विक्रमपालसिंह व भरत वैष्णव, ज्ञान रमण फाउण्डेशन से राजेन्द्र नरूका व संजीव चैरसिया, जल बिरादरी समिति के आशुतोष पटनी व कमलकांत देवडा, सेवा भारती से देवाराम प्रजापति व मधुसूदन त्रिवेदी के अलावा कमलेश मोदी व प्रकाश् प्रजापत की समिति गठित की गई है। यह या तो दानदाता हैं या फिर श्रम सहयोगी संस्थान। इसी समिति में सभापति को शामिल नहीं किए जाने का विरोध भाजपा के नेताओं ने चर्चा के दौरान सोशल मीडिया पर किया था।