सिरोही। नियमों को ताक में रखने की आदत नगर परिषद सिरोही के अधिकारियों को अब भारी पड गई, बिना कायदे के नगर परिषद सिरोही की कार को कार्यवाहक आयुक्त द्वारा आबूरोड ले जाने के कारण कार आबूरोड से चोरी हो गई। इसकी रिपोर्ट तीन दिन बाद आबूरोड थाने में दर्ज करवाई गई।
नगर परिषद सिरोही के कार्यवाहक आयुक्त दिलीप माथुर के पास माउण्ट आबू के आयुक्त पद का भी एडीशनल चार्ज है। माउण्ट आबू जाने के लिए वह 11 अक्टूबर की शाम को सिरोही नगर परिषद की कार को लेकर निकले। रात को उन्होंने आबूरोड में अपने रीको स्थित घर पर कार को खडा किया। रात को ही कार गायब हो गई। दो दिन तक इस मामले को छिपाने का प्रयास किया गया, लेकिन कार गायब होने की सूचना फैलने पर इसकी रिपोर्ट दो दिन बाद आबूरोड थाने में करवाई गई।
शहर पुलिस थाने में कार्यवाहक आयुक्त दिलीप माथूर ने दर्ज करवाई है, इसमें बताया गया कि उनके पास माउंट आबू नगरपालिका के आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार है। वह राजकीय कार्य से आबूरोड आए थे। रात्रि को कार उनके निवास स्थान के बाहर खड़ी थी। रात्रि के समय किसी अज्ञात चोर ने वाहन को चुरा लिया।
आखिर शहर सीमा से बाहर गए क्यों
नियमानुसार सिरोही नगर परिषद की कार को किसी भी कार्य से मुख्यालय की अनुमति के बिना सिरोही नगर परिषद की सीमा से बाहर नहीं ले जा सकते हैं। इसके बावजूद सिरोही नगर परिषद के आयुक्त और सभापति इन गाडियों को जनता के धन पर जयपुर, जोधपुर और न जाने कहां कहां ले जाते रहे हैं। इसी परम्परा को निभाने के चक्कर में वर्तमान आयुक्त भी इस कार को ले गए और यह चोरी हो गई।
अब वसूली किससे
सवाल यह है कि आखिर जनता के धन से खरीदी हुई इस महंगी कार की वसूली किससे की जाएगी। सिरोही नगर परिषद के कार्यवाहक आयुक्त की लापरवाही का भुगतान अब जनता के धन से की जाएगी या लापरवाही बरतने वाले अधिकारी से। सवाल यह भी खडा होता है कि क्या कार्यवाहक आयुक्त इस कार को खुद ही ड्राइव करके ले गए थे या ड्राइवर को साथ ले गए थे।
यदि ड्राइवर साथ था तो आखिर किस तरह से ड्राइवर की उपस्थिति में कार गायब हो गई। एक सवाल और कि शहर से बाहर इस गाडी को ले जाने पर पेट्रोल का खर्चा किससे माथे डाला जाता था। क्या नगर परिषद के लेखाधिकारी और सभापति बिना अनुमति के शहर के बाहर नगर परिषद की गाडियों को ले जाने पर भी पेट्रोल और डीजल के बिल पास कर देते थे।
यदि ऐसा होता था तो सिरोही नगर परिषद में पेट्रोल और डीजल के नियमविरुद्ध बिल पास करने के लिए कई सभापतियों, आयुक्त और नगर परिषद के लेखाधिकारी पर जांच जरूरी है। सूत्रों के अनुसार लूट की स्थिति यह है कि सभापति, आयुक्त और बाबू तक इन गाडियों को जयपुर व जोधपुर ले जाते थे और पेट्रोल व डीजल का खर्चा नगर परिषद से उठाते थे।