सबगुरु न्यूज-सिरोही। आखिर राजीव नगर आवासीय योजना को लेकर कांग्रेस के पिछले बोर्ड में उठे विवाद का निस्तारण करने की दृढ़ता गुरुवार को नगर परिषद की साधारण सभा की बैठक में सभी पार्षदों ने दिखा ही दी।
तमाम कयासों को दरकिनार करते हुए इस योजना को पूर्व वर्ती मालिक को सुपुर्द करने की बजाय इस पर आवासीय योजना का विकास करके भूखण्ड शहर के जरूरत मंद लोगों को देने तथा हाईकोर्ट में इसके लिए डटकर पैरवी करने का निर्णय कर लिया गया।
इसके अलावा एजेंडे के अन्य मुददों पर भी चर्चा करके हुए कुछ को मामूली संशोधनों के साथ स्वीकार किया गया तो घनी आबादी वाले क्षेत्रों में सुविधाओं के सुदृढीकरण के लिए नगण्य आबादी वाले क्षेत्रों के कुछ कार्यों को स्थगित किया गया।
कुल मिलाकर पहली बार सिरोही नगर परिषद के भाजपा और कांग्रेस के पार्षद विकास के मुद्दों पर एक दूसरे की ओर से दिए गए सुझावों में से जनहित के बेहतर विकल्पों को चुनते हुए दिखे।
सभापति ताराराम माली की अध्यक्षता में हुई साधारण सभा बैठक में आयुक्त रामकिशोर माहेश्वरी ने सर्वप्रथम ईश्वरसिंह डाबी को नेता प्रतिपक्ष चुने जाने की सूचना सदन को दी। सभापति ने उनका माल्यार्पण करके अभिनन्दन किया। इसके बाद एजेंडे पर चर्चा हुई।
लाखेराव तालाब के विकास के मुद्दे पर सदन इसकी प्रशासनिक स्वीकृति चाह रहा था, लेकिन कांग्रेस पार्षद जितेन्द्र सिंघी ने इसकी डीपीआर व तखमीना बनाने का प्रस्ताव रखते हुए बजटीय प्रावधान को सदन में पेश करने का विचार रखा। इस पर सभी पार्षद सहमत हुए।
राजमाता धर्मशाला चौराहे का सौंदर्यीकरण के मुद्दे पर भी इसका तकमीना बनाने तथा पूर्व में स्वीकृत चौराहों के सौंदर्यीकरण कार्य पूर्ण करने की बात कांग्रेस व भाजपा के पार्षदों ने रखी। इस दौरान पार्षद प्रवीण राठौड़ ने शहर के सबसे व्यवस्ततम और प्रमुख पैलेस रोड के सौंदर्यीकरण की आवाश्यकता जताई।
शहर के बागीचों में मूर्तियां लगाने और विकास करने के मुद्दे पर शंकरसिंह परिहार ने बिना सरकारी नियमों के पालना के मूर्तियां नहीं लगाने का प्रस्ताव रखा। जिस पर सभी सहमत दिखे। शहर के मुख्य मार्गों पर प्रवेश द्वार, पशु-पक्षियों के लिए दाना पानी के लिए परिंडों की स्थापना, चौराहों के सौंदर्यीकरण के लिए दानदाताओं के सहयोग लेने का भी विचार रखा गया।
इस दौरान शैतानसिंह व जीतू खत्री ने अपनी व अन्य पार्षदों के एक महीने के मानदेय के विचार पर सभी पार्षद सहमत दिखे। ट्रांसपोर्ट नगर, मुख्य मार्गों पर पड़ी भूमि, निडोला तालाब के पास की भूमि पर आवासीय व व्यावसायिक योजना का प्लान बनाने पर भी सहमति हुई।
कम आबादी होने से अनादरा रोड व भाटकड़ा चौराहे से जलदाय विभाग चौराहे के मार्ग के विद्युतिकरण के प्रस्ताव को निरस्त करने पर सहमति बनी। इसकी राशि को शहर की आबादी वाले स्थानों की रोडलाइट की व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर सहमति बनी।
शहर की सभी रोडलाइटों को ईईएसएल के माध्यम से एलईडी से प्रतिस्थापित करने, बीपीएल सूची, खाद्य सुरक्षा व अंत्योदय योजना के लाभार्थियों की सूची, कृषि उपज मंडी व शहरी स्वास्थ्य केन्द्र के लिए भूमि आवंटन के प्रस्तावों को सहमति के साथ अनुमोदित किया गया।
बस स्टैण्ड के शौचालय बनाने के मुद्दे का विरोध हुआ। इसमें सुलभ को सौंपे गए नगर परिषद की ओर से निर्मित शौचालय को अधिग्रहित करके नगर परिषद की ओर से इसके रखरखाव को आदमी लगाने का विचार भी रखा गया।
बैठक में उप सभापति धनपतसिंह राठोड़, प्रवीण राठौड़, विरेन्द्र एम चौहान, मगन मीणा, जीतू खत्री, प्रकाश कुंवर, लता पटेल, अमिया बाई, रणछोड़, सुखीदेवी, सीतादेवी, शैतानराम, मारूफ हुसैन, मनु मेवाड़ा, गोपीलाल, नैनाराम माली शहर हित के अधिकांश मुद्दों पर आपसी सामन्जस्य बनाते हुए चले।
राजीव नगर के साथ उखड़े गड़े मुर्दे
राजीव नगर आवासीय योजना का मुद्दा सबसे अहम ओर आरोप-प्रत्यारोप वाला रहा। इस मुद्दे के सामने आते ही भाजपा पार्षद शंकरसिंह परिहार ने इस मामले में पूर्व सभापति जयश्री राठौड़ की अध्यक्षता में हुई प्रशासनिक समिति की उस बैठक की प्रोसिडिंग पढ़कर सुनाई। इसमें बाकयदा समिति के सभी तत्कालीन सदस्यों का नाम लेते हुए इस भूमि को अधिग्रहण मुक्त किए जाने का आरोप कांग्रेस के पार्षदों पर लगाया।
इस पर कांग्रेस ने भी इस समिति भाजपा के पार्षद के शामिल होने की भी बात कही। इसकी कमेटी में लिए गए कथित निर्णय के आधार पर पूर्व सभापति जयश्री राठौड़ ने अपनी ओर से हाईकोर्ट में इस मामले को विड्रॉ करने की अर्जी लगा दी थी, जिसकी समय पर जानकारी होने पर तत्कालीन आयुक्त ने इस तरह की प्रशासनिक कमेटी बैठक नहीं होने का एफीडेटिड न्यायालय में दिया और केस का यथावत रखा।
शंकरसिंह परिहार ने इस प्रकरण में दर्ज एक एफआईआर का जिक्र भी किया। इसके हवाले से उन्होंने बताया कि पुलिस जांच में यह साफ हुआ है कि राजीव नगर आवासीय योजना को नगर परिषद से अधिकार से मुक्त करने के लिए प्रशासनिक समिति की बैठक हुई थी।
इसे लेकर कांग्रेस पार्षदों ने तत्कालीन सभापति व आयुक्त के खिलाफ नगर परिषद की ओर से एफआईआर दर्ज करवाने की मांग सदन में रखी, जिसका सबसे पहले एक्सईएन दिलीप माथुर ने यह कहते हुए विरोध जताया कि एक बार किसी मामले की एफआईआर दर्ज होने पर दोबारा एफआईआर नहीं करवाई जा सकती। यही बात जब शंकरसिंह परिहार ने दोहराई तो सभापति ताराराम माली ने भी इनसे सहमत होते हुए एफआईआर नहीं दर्ज करवाने का निर्णय सुना दिया।
इस बहस को थामते हुए आयुक्त ने कहा कि राजीव नगर आवासीय योजना की भूमि पर नगर परिषद भूखण्ड काटेगी और जनहित में इसका उपयोग करेगी और उच्च न्यायालय में इसकी गंभीरता से पैरवी करेगी। इस पर सभी ने सहमति जताई। आयुक्त ने बताया कि इस योजना में लिए पुराने आवेदकों को शामिल करते हुए नए आवेदकों को भी मौका दिया जाएगा।
सभापति से करवा दिया रूबरू
वार्ड में कई समस्याएं थी। लोगों में पार्षद मनु मेवाड़ा के प्रति यह भ्रांति घुस गई कि वह काम नहीं करवा रहे। इस पर मनु मेवाड़ा अपने वार्ड के कई लोगों को बैठक में ही ले आए। पहले तो ये लोग सभाकक्ष में घुसने लगे, लेकिन सभापति ने खुद ही बाहर आकर इनसे मिलने की बात कही तो वह बाहर ही रुक गए। लोगों ने अपनी समस्याएं बताई। सभापति ने उन्हें बताया कि उनके पार्षद ने उनके वार्ड की समस्याएं बताई हैं। इन कामों के प्रस्ताव ले लिए गए हैं या लेकर शीघ्र ही काम करवाएंगे। सभापति के मेवाड़ा की ओर से वार्ड की समस्या उन्हें बताने की पैरवी करने पर मेवाड़ा ने कुछ सुकुन महसूस किया।