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Sirohi:No one is culprit of hitesh's prajapat accidental death!
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सिरोही: हितेश की मौत पर आखिर क्यों न दर्ज हो गैर इरादतन हत्या का मामला!

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सिरोही: हितेश की मौत पर आखिर क्यों न दर्ज हो गैर इरादतन हत्या का मामला!
Prajapat samaj demonstration at sirohi kotwali
Prajapat samaj demonstration at sirohi kotwali
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सबगुरु न्यूज-सिरोही। छोटी ब्रह्मपुरी की एक गली में मंगलवार रात को एक जर्जर मकान ने एक व्यक्ति की जान लील ली। रात 9 बजे ये मकान गिरा बताया जा रहा है। इस समय हितेश प्रजापत अपने घर लौट रहा होगा।

घर पर माँ-बाप अपने बेटे के दिनभर की मेहनत के बाद लौटने के इन्तेजार में घडी की रफ़्तार को देख रहे होंगे। शादीशुदा होगा तो पत्नी अपने पति के लौटने पर उसे गर्म खाना खिलाने और बातें करके दिनभर की थकान को मिटाने के इन्तेजार में होगी। मृतक हितेश के बच्चे होंगे तो वो अपने पापा के लौटने के इन्तेजार में दरवाजा खटकने का इन्तेजार कर रहे होंगे। और बस आठ दिन बाद ही तो राखी है, एक बहन को इस त्यौहार का पूरे साल भर से इन्तेजार होगा।

एक हादसे ने इतने सपने तोड़ दिए। इतनी लोगों के अरमानों का गला घोंटने वाला कोई भी नहीं है। क्या कोई गुनाहगार नहीं है इस मौत का। है, इस मौत का गुनाहगार है। sabguru.com। और एक नहीं कई लोग हैं। इस मौत का गुनाहगार है मकान मालिक जिसे मकान को इस अवस्था में छोड़ दिया और खुद दिसावर में अपने घर चमकाने में हितेश के घर में अँधेरा कर गया। गुनाहगार है नगर परिषद, जिसने नगर पालिका अधिनियम में प्रवधान होने के बावजूद भी ऐसे जर्जर मकानों को चिन्हित करके उन्हें कानूनी प्रक्रिया से तोडा नहीं। गुनहगार है प्रशासन जिसने उस हादसे से सबक नहीं लिया जिसमे डॉ अरोड़ा ने ऐसे ही एक जर्जर सरकारी आवास के गिरने के कारण अपनी जान गांव दी थी। फिर एफआईआर क्यों नहीं होनी चाहिए।

और क्यों कर के ऐसे लापरवाह लोगों को उनके गुनाहों की सजा नहीं मिलनी चाहिए। जिस तरह नगर पालिका अधिनियम में जर्जर मकानों को तोड़ने के लिए प्रावधान है उसी तरह ये काम नहीं करने वालोंके खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने का प्रावधान भी भारतीय दंड संहिंता में हैं। अब पुलिस को ये सोचना है कि वो ये काम किसी राजनेता के हस्तक्षेप से करेगी। न्यायालय के इस्तगासे से करेगी । या कोतवाली पर धरना देने वाले लोगों की रिपोर्ट लेकर बिना खुद को विवाद में डाले हुए करेगी। अगर डॉ अरोड़ा की मौत के बाद भी सबक लेकर आपदा प्रबंधन के तहत नगर परिषद के माध्यम से जिला कलेक्टर ने सबक लेकर जर्जर मकानों को तुड़वाने की कार्रवाई क्र दी होती तो शायद हितेश जिन्दा होता।

परीक्षित मिश्रा