सूरत। बीते सप्ताह सरथाणा के बिल्डर के अपहरण में भावनगर की भूपत आहीर गैंग की लिप्तता सामने आई है। अपहर्ताओं ने 50 लाख रुपए की फिरौती वसूलने के बाद बिल्डर को छोड़ दिया।
इसके बाद क्राइम ब्रांच पुलिस ने भावनगर से गैंग के छह सदस्यों को अरेस्ट कर लिया है। गैंग का मुख्य सूत्रधार भूपत आहीर समेत दो जनें अभी भी वांछित है। भूपत आहीर के साथ रुपए के लेन-देने के विवाद में बिल्डर का अपहरण किया गया होने का पुलिस ने खुलासा किया है।
संयुक्त पुलिस आयुक्त खुर्शिद अहमद ने बताया कि पकड़े गए अभियुक्तों का नाम भावनगर जिले की महुवा तहसील के उगलवाण गांव निवासी गिरीश डाह्या नकुम (31), शिहोर तहसील के करदेज गांव निवासी शैलेष मेरा डांगर (31), उमराला तहसील के जांजमेर गांव निवासी भरत उर्फ बापू मोहनदास देवमोरारी (28), कापोद्रा दशरथनगर सोसायटी निवासी निलेश उर्फ टोपी रमेश साकरिया, पूणागाम मुक्तिधाम सोसायटी निवासी प्रविण उर्फ पी.डी.दुलाभाई लाडूमोर (24) और भावनगर जिले की शिहोर तहसील के राजपरा गांव निवासी हितेश लक्ष्मण खमल आहिर (20) है। अभियुक्तों को भावनगर से गिरफ्तार किया गया है।
वहीं गैंग का मुख्य सूत्रधार भूपत आहीर और भरत उर्फ मून्ना अभी भी वांछित है। उन्होंने बताया कि बिल्डर जयंती तारपरा का अशोक कथिरिया के साथ वराछा की तीन बिघा जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। विवाद को निपटाने के लिए जयंती ने भूपत आहीर को सुपारी दी थी। सुपारी लेने के बाद भूपत ने साथियों के साथ मिलकर अशोक कथिरिया का अपहरण कर लिया था। इस संदर्भ में अमरोली थाने में मामला भी दर्ज किया गया था।
अशोक कथिरिया के अपहरण के बाद जयंती भूपत को सुपारी की तय रकम नहीं चुका रहा था। इसी के चलते भूपत ने साथियों के साथ मिलकर जयंती तारपरा का अपहरण कर लिया और उसे भावनगर के अलग-अलग क्षेत्रों में बंदी बना कर रखा। इसके बाद उसने जयंती के परिजनों से 50 लाख रुपए की फिरौती वसूल ने के बाद जयंती को मुक्त कर दिया।
मुक्त होने के बाद जयंती ने पुलिस का संपर्क किया और पुलिस ने अलग-अलग टीम बना कर भावनगर से छह अभियुक्तों को गिरतार कर लिया। गौरतलब है कि 9 जुलाई की दोपहर बिल्डर जयंती तारपरा का योगीचौक विस्तार में उनके कार्यालय के बाहर से दो काले रंग की कार में आए लोग अपहरण कर फरार हो गए थें।सरथाणा पुलिस ने जयंती के पुत्र हीरेन की शिकायत पर अपहरण का मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी।
परिजनों ने पुलिस को अंधेरे में रख चुकाई फिरौती की रकम
पुलिस ने बताया कि जयंती का अपहरण करने के बाद अपहर्ताओं ने उसके पुत्र हीरेन के मोबाइल पर फोन कर 50 लाख रुपए की फिरौती मांगी थी। उसे कहा गया था कि वह पुलिस को इस बारे में कुछ नहीं बताए और रुपए लेकर भावनगर नारी चौराहे के पास आए। परिजनों की ओर से फिरौती मांगने की बात पुलिस को बताने पर पुलिस की अलग-अलग टीम बनाकर भावनगर रवाना की गई थी, लेकिन अपहर्ताओं को भनक लग गई और उन्होंने रुपए लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने दोबारा जयंती के परिजनों को फोन किया और धमकी दी कि पुलिस को बताया तो वह जयंती को जान से मार देंगे।
धमकी से डरे परिजनों ने दूसरी बार फिरौती के फोन के बारे में पुलिस को कुछ नहीं बताया और 15 जुलाई को दो जनें 50 लाख रुपए लेकर भावनगर पहुंचे। यहां पर नारी चौराहे के पास उन्होंने अपहर्ता को 50 लाख रुपए दे दिए और अपहर्ताओं ने जयंती को छोड़ दिया। सूरत पहुंचने के बाद जयंती ने पुलिस का संपर्क किया। इस दौरान अभियुक्तों की खोज में पुलिस की टीमें भावनगर में डेरा डाले हुई थी उनको अभियुक्तों की जानकारी मिलने के पार टीम ने गैंग के छह सदस्यों को धर दबोचा।
तीन-तीन दिन दो अलग-अलग जगह पर रखा
पुलिस ने बताया कि 9 जुलाई को जयंती का अपहरण कर अपहर्ता उसे भावनगर ले गए। यहां पर पहले तीन दिन उसे महुवा में स्थित अभियुक्त प्रविण उर्फ पी.डी की वाडी में बंदी बना कर रखा। इसके बाद के तीन दिन तक उसे राजपरा गांव में अभियुक्त हितेश खमल की वाडी में बंदी बना कर रखा। 15 जुलाई को फिरौती की रकम मिलने पर अभियुक्तों ने उसे मुक्त कर दिया।
50 में से 14.13 लाख बरामद, आपराधिक है इतिहास
पुलिस ने बताया कि अपहर्ताओं के पास से फिरौती की रकम में 14.13 लाख रुपए बरामद कर लिए गए है। 35 लाख रुपए बरामद करने बाकी है। अभियुक्त गिरीश डाह्या के पास से 13.65 लाख रुपए, शैलेष डांगर के पास से 40 हजार रुपए और हितेश खमल के पास से 13 हजार रुपए बरामद हुए है।
पुलिस के मुताबिक पकड़े गए अभियुक्तों में से निलेश और भरत का इतिहास आपराधिक है। दोनों पहले मारपीट के अलग अलग मामलों में पकड़े जा चुके है। वहीं अभियुक्त भूपत आहीर अपहरण,फिरौती और लूट जैसे मामलों में पकड़ा जा चुका है। फिलहाल वह भावनगर जेल से पैरोल जप कर फरार है।