मुंबई। महाराष्ट्र में एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के तहत शुक्रवार को बृहन्मुंबई नगर निगम में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सात में से कम से कम छह पार्षद शिवसेना की तरफ चले गए हैं। अधिकारिक सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है।
मनसे के छह पार्षदों ने कोंकण विभागीय आयुक्त से एक अलग समूह के रूप में मान्यता देने का आग्रह किया है। मनसे के एक शीर्ष नेता ने कहा कि ऐसी संभावना है कि ये लोग बीएमसी में शिवसेना को समर्थन देंगे। पार्टी नेतृत्व ने हालांकि इस घटनाक्रम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की है।
इस कदम से शिवसेना की सहयोगी भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है। पार्टी ने गुरुवार को दावा किया था कि बीएमसी पर भाजपा का मेयर शासन करेगा।
मनसे के इन पार्षदों के नाम अर्चना एस. भालेरॉव, परमेश्वर टी. कदम, अश्विनी ए. माटेकर, दत्ताराम एस. नारवंकर, हर्शाला ए. मोरे और दिलीप बी. लांडे हैं।
इस राजनीतिक घटना से हतप्रभ भाजपा ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग, महाराष्ट्र भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो और कोंकण विकास आयुक्त के पास शिकायत दर्ज कराई है और पार्टी ‘खरीद-फरोख्त’ के आरोप लगा रही है।
महानगर पालिका चुनाव में भांडुप में भाजपा की जीत पर किरीट सोमैया ने घोषणा की थी कि अब शिवसेना के 84 और भाजपा के 83 पार्षद हैं। बहुत जल्द भाजपा 84 पर पहुंच जाएगी और बीएमसी में भाजपा का मेयर नियुक्त किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना देश की सबसे धनी नगर निगम में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। 227 सदस्यीय बीएमसी में शिवसेना के 84 व चार स्वतंत्र पार्षद, भाजपा के 83 व दो स्वतंत्र पार्षद हैं। अन्य पार्षदों में कांग्रेस के 30, राकपा के नौ, मनसे के सात, समाजवादी पार्टी के छह, एआईएमआईएम के दो पार्षद हैं।