नई दिल्ली : स्मार्टफोन और दूसरी डिवाइसेज के अधिक इस्तेमाल से टीनेजर्स में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े खतरों का रिस्क बढ़ जाता है। इससे ध्यान, व्यवहार और सेल्फ रेग्युलेशन जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना में डरहम के ड्यूक विश्वविद्यालय के इस शोध की
प्रमुख लेखक मेडेलीन जॉर्ज ने कहा, ‘टीनेजर्स में टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कम करने वाले दिनों की अपेक्षा ज्यादा इस्तेमाल करने के दिनों में व्यवहार की समस्याएं बढ़ जाती हैं।’
यह शोध ‘चाइल्ड डिवेलपमेंट’ मैगजीन में पब्लिश हुआ है। इसमें टीनेजर्स के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े लक्षणों को देखा गया है। इसमें उनके हर दिन सोशल मीडिया, इंटरनेट के इस्तेमाल के समय को शामिल किया गया है। इस शोध में 151 टीनेजर्स के हर रोज के डिजिटल टेक्नॉलजी में स्मार्टफोन के इस्तेमाल का सर्वे किया गया है।
उनका सर्वे दिन में तीन बार किया गया। यह सिलसिला महीने भर तक चला। इसके 18 महीने बाद उनके मानसिक स्वास्थ्य के लक्षणों का मूल्यांकन किया गया। इसमें 11 साल से 15 साल के बीच के टीनेजर्स ने भाग लिया। टीनेजर्स ने औसतन करीब 2.3 घंटे एक दिन डिजिटल टेक्नॉलजी पर खर्च किए।
उनमें व्यवहार संबंधी समस्याएं जैसे झूठ बोलना, लड़ाई और दूसरी व्यवहारिक समस्याएं दिखीं। शोध में यह भी पाया गया कि वे टीनेजर्स, जिन्होंने ऑनलाइन समय बिताया, उनमें 18 महीने बाद व्यवहारिक समस्याएं और सेल्फ रेग्युलेशन की दिक्कतें देखी गईं।
हालांकि, शोधकर्ताओं ने पाया कि टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कुछ सकारात्मक नतीजों से भी जुड़ा है। जिन दिनों में टीनेजर्स ने टेक्नॉलजी का ज्यादा इस्तेमाल किया, उस दौरान उनमें चिंता के लक्षण कम दिखाई दिए।