जयपुर। प्रदेश के सबसे बड़ी सवाई मानसिंह अस्पताल में गो मूत्र से सफाई महज दिखावा बनती जा रही है। अस्पताल प्रशासन भी गो मूत्र से उन्ही जगहों को चमाचम करने में लगा हुआ है जहां पर वीआईपी दौरे होते है। ऐसे में अस्पताल के तीसरी से चौथी मंजिल में टॉयलेट कचरे से अटे हैं।
लाखों खर्च करने के बाद भी सफाई व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाई है और प्रशासन की लापरवाही संक्रमण को बढ़ावा दे रही है। गौरतललब है कि दिल्ली में केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार के आने के बाद प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत की सोच के कारण आज हर प्रदेश में सफाई को लेकर कवायद शुरू हुई है।
इसी क्रम में फिनॉयल की बजाय गौमूत्र का इस्तेमाल होने लगा है। प्राकृतिक गुणों से भरपूर गौमूत्र को खुशबूदार बनाने के लिए इसमें नीम तथा अन्य जड़ी- बूटियां मिलाई गई है।
प्रदेश के चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ के प्रयासों से सरकारी अस्पतालों में गो मूत्र से सफाई कराने के क्रम में सर्वप्रथम एसएमएस अस्पताल में अभियान शुरू हुआ, लेकिन इस अभियान के अभी शुभ परिणाम सामने नहीं आए है। पुराने पैटर्न पर ही चलते वीआईपी मूवमेंट या वीआईपी जांच की गलियारों को भी स्वच्छ करने पर ध्यान दिया जा रहा है।
एसमएसएस या सरकारी डिसपेंसरियों में सफाई को लेकर कोताही शुरू से रही है। इस कारण अस्पतालों में संक्रमण और गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा बना रहता है। अमूमन किसी भी सरकारी अस्पताल में सफाई को लेकर पुख्ता इंतजाम नहीं है ।
सरकारी अस्पतालों में गुटखा,पान मसाला, जर्दा और अन्य नशीले पदार्थ खाने पर प्रभारी रोक नहीं होने के कारण यहां की फर्श सीढिय़ों, शौचलयों और खाली स्थानों पर पीक दिखाई देती है।
एसएमएस के बाद महिला चिकित्सालय, जनाना अस्पताल की दीवारे भी बेहद गंदी है जहां पर पान की पीक जगह-जगह दिखाई देती है। इन अस्पतालों में शुद्धता और सफाई पर ध्यान नहीं देने के कारण मरीज ही नहीं उनके परिजन भी बीमारी का शिकार हो जाते है। कॉलोनियों में खुलने वाली सरकारी डिस्पेंसरियां तो भगवान भरोसे है।
गोमूत्र कैंसर सहित 108 बीमारियों में लाभकारी माना जाता है। गोमूत्र की कीमत दूध से कहीं अधिक हो गई है। गोमूत्र अर्क के दाम सौ रुपए तक जा पहुंचे हैं। गोमूत्र अर्क की बढ़ती मांग के चलते प्रदेश भर की गोशालाओं में इसे बड़े स्तर पर तैयार किए जाने की कवायद हो चुकी है।
इसी कड़ी में बठिंडा के सिरकी बाजार की श्रीगौशाला में भी गोमूत्र अर्क तैयार किया जाता रहा है। गौमूत्र में मौजूद सोडियम, पोटेशियम, मैग्निशियम, फास्फोरस, सल्फर आदि में से कुछ लवण विघटित होकर रेडियो एलिमेंट की तरह कार्य करने लगते है और कैंसर की अनियंत्रित वृद्धि पर तुरंत नियंत्रण करते हैं। कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते हैं।