वाराणसी। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या बुधवार को सूर्यग्रहण पर तड़के से ही हजारों श्रद्धालु भगवान सूर्य की मुक्ति के भाव से गंगा स्नान के लिए दशाश्वमेध घाट पर पहुंच गए। मोक्षकाल में गंगा स्नान के बाद दानपुण्य कर बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाई। गंगा स्नान का सिलसिला प्रमुख घाटो पंचगंगा, भैसासुर, अस्सी,शीतलाघाट पर पूर्वान्ह तक जारी रहा।
इसके पूर्व सूर्यग्रहण का सूतक बीते मंगलवार की शाम 5.04 बजे लग गया। सूतक लगते ही बाबा विश्वनाथ, श्री अन्नपूर्णा मंदिर, श्रीसंकट मोचन मंदिर, कूष्मांडा मंदिर दुर्गाकुण्ड सहित प्रमुख मंदिरो के पट बंद हो गए। मंदिरों के पट आज मोक्षकाल के बाद खुला। लगभग 320 साल बाद कुंभ राशि पर पंचग्रही योग में सूर्य ग्रहण का खगोलीय नजारा ग्वालियर-चंबल संभाग में सिर्फ 12 मिनट के लिए दिखा।
सूर्य ग्रहण का स्पर्श सुबह 5.36 बजे, मध्य 6.10 बजे तथा मोक्ष 6.46 पर हुआ। इस सम्बन्ध में ज्योतिषविद आचार्य राजकिशोर पाण्डेय ने बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर ग्रहण का होना शुभ नहीं माना जाता है।
कुंभ राशि, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र तथा पांच ग्रहों के साथ ग्रह गोचर में गुरु-राहु का समसप्तक दृष्टि संबंध अनिष्टकारी माना जाता है। यह योग 320 साल बाद बन रहा है। इससे राजनीतिक उठा- पटक अधिक रहने के साथ ही महंगाई बढ़ेगी।