अंतालिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को धर्म से अलग करने पर जोर देते हुए कहा कि अब भी दुनिया के कुछ देश आतंकवाद को सरकार की नीति के हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व को राजनीतिक नफा-नुकसान देखे बगैर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।
प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद का पुराना ढांचा बरकार है। अब भी ऐसे देश हैं जो आतंकवाद को सरकारी नीति के एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ दुनिया को एक स्वर में आवाज उठानी होगी। साथ ही इसमें राजनीतिक नफे नुकसान का ध्यान नहीं दिया जाना चहिए तथा आतंकवादी गुटों या देशों के बीच फर्क नहीं किया जाना चाहिए।
मोदी ने शिखर सम्मेलन के पहले दिन रविवार को यहां रात्रिभोज पर आयोजित चर्चा में कहा,’ हम सभी को मिलजुल कर ऐसे देशों को अलग-थलग करना होगा जो आतंकवाद की मदद करते हैं या आतंकवाद के प्रयोजक हैं।
उन्होंने कहा कि हमें उनका साथ देना चाहिए जो हमारी तरह मानवीय मूल्यों को मान देते हैं। आतंकवाद एक खास तरह की चुनौती है और इससे निपटने के लिए हमें अंतर्राष्ट्रीय कानूनी व्यवस्था में बदलाव करने की जरूरत है।’
प्रधानमंत्री ने’वैश्विक चुनौतियां-आतंकवाद और शरणार्थी संकट पर बोलते हुए कहा कि दुनिया आतंकवाद के बदलते चरित्र को देख रही है जिसमें वैश्विक संबंध, क्षेत्रीय संबंध, घरेलू आतंकवाद और भर्ती तथा दुष्प्रचार के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल जैसे विभिन्न आयाम जुड़ गए हैं।
आतंकवाद के पहलुओं पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बहुलवादी और खुले देशों के लिए इससे खतरा बढ़ गया है पर आतंकवाद के लिए लोगों की भर्ती और आतंकवाद के निशाने के लिए ऐसे ही देशों को चुना जाता है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक सुरक्षा के संबंध में मौजूदा व्यवस्था की जो परिभाषा दी गयी है वह एक अगल दौर के लिए थी जब सुरक्षा के खतरे दूसरी तरह के थे। इस समय आतंकवाद से निपटने के लिए कोई व्यापक वैश्विक रणनीति नहीं है। मोदी ने यह भी कहा,’हमारे पास जो औजार हैं भी तो हम उनके इस्तेमाल में भेदभाव करते हुए दिखते हैं।’
प्रधानमंत्री ने जी20 के नेताओं से’बिना विलम्ब किये’ आतंकवाद पर एक व्यापक वैश्विक समझौता स्वीकार करने की अपील की। उन्होंने इस मामले में खुफिया सूचनाओं और जवाबी उपायों में अंतराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने पर भी बल दिया।
मोदी ने कहा कि आतंकवादियों को हथियारों की आपूर्ति रोकने, उनके आवागन के रास्तों को बंद करने तथा आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाने और इसे गैरकानूनी बनाने के अपने प्रयासों को हमें और मजबूत करना चहिए। उन्होंने इसी संदर्भ में साइबर सुरक्षा बढ़ाने और ऐसे उपाय करने पर भी बल दिया ताकि आतंकवादी इंटरनेट तथा सोशल मीडिया का कम से कम इस्तेमाल कर सकें।
प्रधानमंत्री ने धार्मिक नेताओं और विचारकों का भी आह्वान किया कि वे आतंकवाद के खिलाफ सामाजिक अभियान चलायें और इसमें खासकर युवकों पर ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा,’ उन देशों में इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है जहां यह सबसे अधिक है।
हमें आतंकवाद को धर्म से न जोड़ते हुए उग्रवाद के खिलाफ मिल कर काम करना होगा।’ साथ ही पश्चिम एशिया और अफ्रीका में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना भी समान रूप से महत्वपूर्ण है। मोदी ने कहा कि आतंकवाद आज दुनिया के सामने मुख्य चुनौती बन गया है और इसमें लोगों को लड़ाई के क्षेत्रों से लेकर दूर -दूर के शहरों की गलियों में मौत के रूप में आतंकवाद की कीमत चुकानी पड़ रही है।
उन्होंने वर्तमान शरणार्थी संकट का समाधान निकालने की जरूरत पर भी बल दिया। मोदी ने कहा कि दुनिया में छह करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें संरक्षण की आवश्यकता है। पश्चिम एशिया के संकट पर पूरी दुनिया को ध्यान देने की जरूरत है। इस संबंध में प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र की भूमिका बढ़ाने पर भी बल दिया।
गौरतलब है कि जी20 शिखर सम्मेलन पेरिस के आतंकवादी हमलों की गूंज के बीच हो रहा है। वहीं दो दिन तक चलने वाले जी20 शिखर सम्मेलन की शुरूआत यहां रविवार को हुई थी, आज इस सम्मेलन का अंतिम दिन है। इस सम्मेलन में दुनिया के कई राष्ट्रों के प्रमुख भाग ले रहे हैं।