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रेनी सीजन में इन तमाम फलों के रस रहे तरोताजा - Sabguru News
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रेनी सीजन में इन तमाम फलों के रस रहे तरोताजा

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रेनी सीजन में इन तमाम फलों के रस रहे तरोताजा

बारिश की फुहारें, गर्मा-गर्म पकौड़ों की फर्माइश करती है, लेकिन वातावरण में नमी का स्तर बढ़ जाने की वजह से उमस भरे इस मौसम में होने वाली गर्मी कई बार हमारी सेहत पर भारी पड़ जाती है।

ऐसे में जरूरत महसूस होती है कुछ ऐसे ड्रिंक्स की, पानी की जरूरत तो पूरी करे ही, पौष्टिकता से भरपूर भी हो। आयुर्वेद में तो सदियों से हमारे स्वास्थ्य के लिए हितकारी कई तरह की जड़ी-बूटियां मिलाकर कई तरह के घरेलू शर्बत बनाने का प्रचलन रहा है।

इनमें मौजूद पौष्टिक और एंटीऑक्सीडेंट तत्व न केवल शरीर में ऊर्जा संतुलन के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि शरीर से विषाक्त पदार्थो को बाहर निकालते हैं और संक्रमण से बचाव कर हमारी प्रतिरोधक क्षमता को भी सुधारते हैं। बनाने में आसान ये हेल्दी शर्बत गुणों का खजाना हैं।

अच्छे से पिएं सेब का रस

इस मौसम में सेब का जूस हमारे शरीर में होने वाले त्रिदोष को दूर करने में असरदार भूमिका निभाता है। यह पाचन प्रक्रिया में काम आने वाले डायजेस्टिव जूस के स्रव को बढमने में सहायक है, जिससे खाना पचाने में आसानी होती है। यह कब्ज की समस्या को दूर कर अपशिष्ट पदार्थो को बाहर निकालने में मदद करता है। ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत होने के कारण सेब का जूस शरीर की कमजोरी और आलस्य को दूर करता है। जोडमें के दर्द, मांसपेशियों में जकडम्न को कम करता है। इस मौसम में त्वचा पर होने वाले पित्ती, कील-मुंहासों या दानों को कम करता है।

खूब पिएं पाइनेपल का जूस

मानसून में कब्ज, अपच, गैस्ट्राइटिस जैसी पेट संबंधी गडम्बडिम्यों को दूर करने में अनन्नास का जूस फायदेमंद है। पाचन को बढमने के लिए डायजेस्टिव जूस जरूरी है, जिसके स्रव में अनन्नास का जूस मदद करता है। यह पेट की सूजन और दर्द में भी आराम पहुंचाता है। बच्चों के पेट में होने वाले कीडमें के इलाज के लिए भी अनन्नास का जूस काफी असरदार है। विटामिन सी से भरपूर अनन्नास के जूस का सेवन मानसून के नमी भरे मौसम में होने वाले सर्दी-जुकाम में फायदेमंद होता है।

अनार का जूस है फायदेमंद

मानसून में सबसे ज्यादा बुरा असर हमारी प्रतिरोधक क्षमता पर पडम्ता है, जिसे बढमने में सहायक होता है अनार का जूस। यह शरीर में त्रिदोष विकारों में संतुलन कायम करता है। आयरन से भरपूर यह जूस हमारे शरीर में ब्लड सेल्स का निर्माण करता है, जिससे खून की कमी दूर होती है और एनीमिया का खतरा नहीं रहता। इससे कमजोरी और आलस दूर होती है। नियमित रूप से अनार के जूस का सेवन अल्सर, आंत्रशोथ और डायरिया जैसी पेट संबंधी गड़बड़ियों में आराम पहुंचाता है। अनार के जूस में अगर तुलसी के पत्ते मिलाकर शर्बत बनाएं तो यह बरसात के मौसम में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में रामबाण का काम करता है।

मौसमी जूस से मिलती है राहत

एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन सी से भरपूर मौसमी का जूस पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। शरीर से विषाक्त पदार्थो को बाहर निकालता है। मौसमी जूस शरीर में ब्लड सकरुलेशन को नियमित रखता है, जिससे घबराहट जैसी समस्या से राहत मिलती है।

सफ्जा या तुलसी के बीज का शर्बत से बढ़ती इम्युनिटी

आयुर्वेद में सफ्जा के बीज को मिलाकर बने जूस को मानसून का बेहतरीन ड्रिंक माना जाता है। इस मौसम में हवा में नमी की वजह से पसीना सूखने में दिक्कत आती है। यह शर्बत शरीर से गर्मी को बाहर निकालता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढमता है और पेट संबंधी बीमारियों के इलाज में सहायक साबित होता है। जिन लोगों को सांस लेने में दिक्कत आती है, उन्हें इस शर्बत से आराम मिलता है। सफ्जा के बीज, गुलाब जल और नीबू के रस या सफ्जा के बीज, खसखस, गुलाब की पंखुड़ियों, पुदीना के पत्तों और नीबू के रस को मिलाकर बना खस फ्लेवर लेमनेड शर्बत भी लाभदायक होता है।

जलजीरा, एनर्जी को करता है बूस्ट

पुदीना मिलाकर बना जलजीरा मानसून के मौसम में पिया जाने वाला एक पारंपरिक पेय है। आयुर्वेद में तो इसे त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) निवारक पेय माना गया है। यहपानी की कमी दूर कर शरीर को ठंडक प्रदान करता है और एनर्जी बूस्टर का काम करता है। बरसात के मौसम में अक्सर पेट में संक्रमण होने की आशंका रहती है। यह पेट संबंधी बीमारियों के इलाज में सहायक है।

सौंफ का पानी, रखें समस्याओं से दूर

सौंफ, खरबूजे के बीज, बादाम, गुलाबजल मिला कर बना शर्बत उमस भरी गर्मी में राहत पहुंचाने में सहायक है। यह गर्मी से राहत तो देता ही है, पाचन और गैस की समस्या को भी दूर करता है।

सेवन में बरतें सावधानियां

इनका सेवन करना एक सीमा में ही श्रेयकर है, क्योंकि इनकी अधिकता से आपकी भूख भी खत्म हो सकती है। अनार का जूस अधिक मात्रा में लेने से कब्ज की शिकायत भी हो सकती है। आपके पौष्टिक भोजन की भरपाई महज एक शर्बत तो नहीं कर सकता।
एक वयस्क व्यक्ति रोजाना एक से डेढ़ गिलास या 200-250 मिली शर्बत का सेवन कर सकता है। वे उन्हें खाना खाने के 2 घंटे पहले या दो घंटे बाद में लें तो बेहतर है। डायबिटीज की शिकायत वाले लोगों को शर्बत में चीनी कम मात्रा में लेनी चाहिए, ताकि उनके रक्त में शुगर लेवल बढम्ने का खतरा न रहे। आप शर्बत में चीनी के बजाय शहद या स्टीविया मिला सकते हैं। इसी तरह ब्लड प्रेशर के मरीज को नमक कम लेना चाहिए।
(रमेश नगर स्थित संतुलन आयुर्वेद क्लीनिक की वरिष्ठ डॉक्टर संजना शर्मा और इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल की वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ डॉ. छवि गोयल से की गई बातचीत पर आधारित)