नई दिल्ली। पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर समूचे विपक्ष ने राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर एकजुटता दिखाने का प्रयास किया। सोनिया गांधी द्वारा शुक्रवार को बुलाई गई बैठक में 17 विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने हिस्सा लिया।
संसद भवन पुस्तकालय में दोपहर भोज पर आयोजित इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी, बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती, राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, जनता दल (युनाइटेड) के नेता शरद यादव, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ ही उनकी पार्टी के नरेश अग्रवाल तथा रामगोपाल यादव ने हिस्सा लिया।
इनके अलावा, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम की कनिमोझी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी.राजा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीतराम येचुरी तथा नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला भी बैठक में मौजूद थे।
बैठक में जनता दल (सेक्युलर), केरल कांग्रेस, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी तथा झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
इस बैठक में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी हिस्सा लिया। इस भोज के साथ ही उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी दलों समाजवादी पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी को राष्ट्रपति चुनाव से पहले एक साथ लाने के कांग्रेस के प्रयास सफल होते नज़र आए।
विपक्ष ने इस दोपहर भोज में विपक्ष की व्यापक एकजुटता दिखाने की योजना बनाई थी, और इस दौरान राष्ट्रपति चुनाव के लिए आम सहमति वाले प्रत्याशी को उतारने की संभावना के बारे में विचार-विमर्श किया जाना था।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव से पहले गैर-एनडीए दलों के बीच व्यापक एकता कायम करने का प्रयास कर रही है, जिसे गुजरात, हिमाचल प्रदेश एवं कर्नाटक जैसे राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों एवं वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव तक आगे बढ़ाया जा सके।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के आम सहमति वाले उम्मीदवार के रूप में कई नामों पर चर्चा चल रही है, जिनमें पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल एवं महात्मा गांधी के पौत्र गोपालकृष्ण गांधी, जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार शाामिल हैं।
हालांकि पवार ने स्वयं को इस दौड़ से अलग रखने की पहले ही घोषणा कर दी थी, और बिहार के मुख्यमंत्री व जेडीयू नेता नीतीश कुमार देश के मौजूदा राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी को ही दूसरा कार्यकाल दिए जाने का सुझाव दे चुके हैं।