नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को पहली बार कोई रिटायर्ड जज किसी मामले में बहस करने आया। पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू शुक्रवार को केरल के बहुचर्चित सौम्या मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट के समन के बाद अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट नंबर छह में उपस्थित हुए।
यह वही कोर्ट है जहां जस्टिस काटजू रिटायर होने के समय अंतिम बार जज थे। मजेदार तथ्य यह है कि जस्टिस काटजू और वर्तमान जस्टिस यूयू ललित का रोल बदला हुआ है।
कभी जस्टिस यूयू ललित जस्टिस काटजू की कोर्ट में अपने केस की पैरवी करते थे आज जस्टिस काटजू सौम्या मर्डर केस में जस्टिस यूयू ललित की कोर्ट में अपना पक्ष रखने आए। इस मामले में जस्टिस काटजू ने कोर्ट से अपना पक्ष रखने के लिए एक घंटे का वक्त मांगा।
एक घंटे बाद जस्टिस काटजू फिर कोर्ट में पेश हुए और कहा कि हमने भी अपने समय में कई गलतियां की हैं जिसके बाद जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम आज भी आपके फैसलों को पढ़ते हैं।
जस्टिस काटजू ने सौम्या मर्डर केस में कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सौम्या को फेंका गया या वो कूद गई। वो करीब करीब मर चुकी थी। क्या आप चाहते थे कि वह रेल के डिब्बे में मरने के लिए बैठी रहती?
इस पर कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के बाहर कबूले गए दोष पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अभियोजक ने भी ट्रायल के दौरान इस पर भरोसा नहीं किया था।
कोर्ट ने जस्टिस काटजू से पूछा कि अगर आपकी बात स्वीकार की जाए तो क्या इस केस को धारा 300 के तहत माना जाए। जस्टिस काटजू ने कोर्ट से कहा कि इस मामले में कानून से ज्यादा कॉमन सेंस से काम लेना चाहिए।