पाली। होली है…बुरा ना मानो होली है, होली के दिन दिल खिल जाते हैं गाते हुए गुरुवार को दिन भर हर कोई होली के रंग में रंगा ही नजर आया। बालक हो या युवा या वृद्ध। कोई वाहनों पर सवार होकर टोली के रूप में अपनों के साथ होली की मस्ती में डूबा नजर आ रहा था तो कोई दूसरों पर रंग गुलाल फेंककर होली का आंनद ले रहा था। कमोबेश दिन भर ऐसा ही नजारा पाली शहर में देखने को मिला।
दिन चढ़ने के साथ होली की मस्ती का ये रंग इस कदर चढ़ा कि शक्ल से लोगों की पहचान करना भी मुश्किल हो गया। साल में एक ही बार आता है ये त्यौहार कहते हुए वे अपने रंगों पर गर्व कर रहे थे। कुछ युवा टोली बनाकर होली के गीत गाते हुए अपने गली मुहल्लों को आनंद से सरोबार किए हुए थे तो कुछ सड़कों पर खड़े होकर पानी से भरे गुब्बारे व पिचकारी से फुहारें फैंक रहे थे।
नन्हें बच्चों ने भी पीठ पर पिचकारी टांग कर सबको भिगोने का आनन्द उठाया। टैगोर नगर में होली खेलने आने वालों के स्वागत में बालिकाओं ने मुख्य मार्ग पर रंगोली बनाकर शुभकामनाएं दी। वीरेन्द्रपाल शर्मा, श्याम जोशी, शैलेन्द्र जोशी, सुरेन्द्रपाल शर्मा, चिरंजीलाल शर्मा आदि ने रंग, गुलाल व फूलों के साथा होली खेली।
शिवाजी नगर में कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज के आनंदीलाल चतुर्वेदी, सत्यनारायण चतुर्वेदी, शचतुर्वेदी, नरेंन्द्र कुमार दुबे, विकास दुबे, प्रतीक दुबे, अंशुल दुबे, निषुल दुबे, राजेश चतुर्वेदी, संजय चतुर्वेदी, अपर्णा, वंदना, खुश्बू, नेहा, सीमा, प्रिंस, नेहा, पीहू आदि ने जमकर होली खेली और एक दूसरे को हाली की शुभकामनाएं दी।
तिलक नगर में विष्णुप्रसाद चतुर्वेदी, शैल चतुर्वेदी, ज्योतिष्णा शर्मा, प्रवीण शर्मा, नव्य शर्मा, आरव शर्मा, तृप्ति पाण्डेय, काष्वी पाण्डेय, मीनाक्षी चतुर्वेदी, अनुपम चतुर्वेदी, अरविंद चतुर्वेदी दीप्ति नागर, हेमेंन्द्र नागर, दिविषा नागर आदि ने होली के त्योहार को रंगों के साथ मनाया।
आदि गौड़ ब्राह्मण समाज के जिलाध्यक्ष चिरंजीलाल शर्मा नरेन्द्र कुमार व्यास, सुनील कुमार व्यास अदि समाज वंधुओं ने मिलकर होली खेली एवं होली मिलन समारोह लेकर चर्चा भी की।
गांधीनगर में मोटूभई चंदनानी, पीके सिंह, अनिल सिंह, चंद्रमोहन सक्सेना, जितेन्द्र जैन, ताराचंद चंदनानी, नवीन, कृष्ण कुमार, विकास सक्सेना, झालाराम सैनी, महेन्द्र सैनी, शंकरलाल सेन, रमाकंत मंडल, सांवलरात प्राजपत आदि ने होली का आनंद लिया। सभी ने एक दूसरे को जमकर रंग लगाए।
सोह्म आश्रम के उत्त्राधिकारी स्वामी सत्यानंद ने सभी भक्तों को गुलाल लगाकर आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि होली पर पानी की ज्यादा खपत होती है जबकि पानी को बचाना चाहिए। अबीर गुलाल से तिलक लगाकर होली खेली जाए तो बहुत ज्यादा मात्रा में पानी की बचत की जा सकती है।
डाक्टर हरिदास व्यास का कहना था कि होली पर पानी बचत के आह्वान का असर गांवों से शहरों तक में देखा गया। होली खेलने के लिए परंपरागत रूप से जो हौद और बड़े कड़ाहे गली-मोहल्लों में भरे जाते थे उनकी संख्या बेहद कम रही। परिचितों और घरों में भी गीले रंग की बजाय गुलाल और सूखे रंगों का प्रयोग अधिक किया गया।